चाँद मुबारक

चांद सुखद, शीतल,चमकीला और प्यारा है।

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विषय -" चाँद मुबारक "


मुझे लगो जान से प्यारे-

लगें सुहानी रात,

जगमग चमको ऊंचे नभ में-

जीवन की सौगात.


मुझ मां कीआँखों के तारे-

जीवन-तम के तुम उजियारे,

दूर रहो या पास, कभी भी-

घेरें न गम-घन कजरारे.


पूर्णिमा की चटक चांदनी-

बिखरे तेरे आसपास,

तन में, मन में,नील गगन में-

मुस्काए होकर बिंदास.


सुखद रहे हरदम परिवेश-

पुलकित हो जग सारा,

तेरी चर्चा रहे सदा ही-

तू मेरा सुत प्यारा.


लगे मुझे 'चांद चौदहवीं का'-

रे मयंक सरताज,

लंबे समय बाद मिलता है-

मुझको तुझपर नाज.

      _____

स्वरचित-

डा. अंजु लता सिंह गहलौत

नई दिल्ली

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