स्त्री

स्त्री को कमजोर समझने वाले ये जान लें,बिना स्त्री के ये दुनिया कैसी होगी

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 591
Anita Bhardwaj
Anita Bhardwaj 31 Jan, 2021 | 0 mins read
#1000poems

.एक स्त्री हो..


चूल्हा चौका,

भाई, पति,पिता,

से हटकर क्या लिख पाओगी

सास ननद के झगड़ों तक ही

सीमित रह जाओगी।


नारीवादियों का सहारा लेकर,

कुछ पल मुस्करा लोगी

घर में खाना देर से गर बना,

तो उस गृहयुद्ध को कैसे रोक पाओगी


पुरुष से बराबरी तो दूर,

मुकाबले की भी सोचोगी तो

किसी स्त्री के द्वारा है

अपमानित करवा दी जाओगी।


छोड़कर ये कागज़ कलम फिर

झूठे बर्तन संग एकांत में बताओगी,

पुरूष के कंधे बिना

तुम कहां जी पाओगी।


दिल तो करता है कह दूं,

पुरुष का मुझसे क्या मुकाबला,

मेरे बिना उसका क्या वजूद है

उसके हर कदम पर मेरा ही कोई रूप मौजूद है।


चूल्हा चौका ना जलाऊं गर मैं

उसके पेट की आग कैसे बुझेगी

बच्चे, सास,ननद को भूल जाऊं मैं

तो उसके घर की महफ़िल कैसे सजेगी,


ठूठ बनकर रह जाएगा वो

मेरे बिना उसे ये दुनिया बंजर लगेगी,

मुझ संग मुकाबले का प्रतिभागी भी बनने के लिए

अ पुरुष तुझे अभी सदियां लगेंगी।

0 likes

Support Anita Bhardwaj

Please login to support the author.

Published By

Anita Bhardwaj

anitabhardwaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.