औरत के सपने

औरत के सपने भी औरत को देखने का हक़ क्यों नहीं

Originally published in hi
Reactions 0
326
Anita Bhardwaj
Anita Bhardwaj 31 Jan, 2021 | 1 min read
#1000poems

औरत के सपने


मेरे सपने

मेरे दुनिया में आने से पहले ही संजो लिए गए,

वो सपने जो औरत ने खुद कभी

देखे ही नहीं अपने लिए


मैं पैदा हुई तो टूटे कई सपने,

फिर सिर्फ मेरी मां ने सजाए खूब सपने,

वो सपने जो औरत ने कभी

देखे ही नहीं अपने लिए


अच्छा सा कोई वर मिल जाए,

सुंदर सा कोई घर मिल जाए,

बच्चों संग ज़िन्दगी की डगर खिल जाए,

यही तो है हर औरत के सपने

जो औरत ने कभी

देखे ही नहीं अपने लिए


पत्नी बनकर कैसे सपने देखने है,

ये भी समझाया गया,

सपनो का एक थैला और पकड़ाया गया।


अच्छा मिल जाए खाने को,

पति बाहर ले जाए घुमाने को,

बच्चे बन जाएं आज्ञाकारी,

फिर सुखी है ज़िन्दगी सारी।


यही तो है हर औरत के सपने

जो औरत ने कभी देखे ही नहीं

अपने लिए


बुढ़ापे में पहुंचकर भी 

सपनो को सूची थमाई गई,

अपने देखे सपनों की सूची

अब भी छुपाई गई।


बेटा बहू हो सेवादार,

खाना मिले लजीजदार,

पोते पोती संग ज़िन्दगी कटे मजेदार,

यही तो हैं हर औरत के सपने

जो औरत ने कभी देखे ही नहीं अपने लिए।

0 likes

Published By

Anita Bhardwaj

anitabhardwaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.