ghazal

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 1 min read

जाते जाते वो अपनी तस्वीर दे गए,

हँसती हुई मेरी आँखों में नीर दे गए।


देखती रही अपने हाथों को चुपचाप,

हाथों में वो जुदाई की लकीर दे गए।


मन में एक कसक रहेगी ता-उम्र अब,

जिंदगी भर कम ना हो ऐसी पीर दे गए।


मोहब्बत का मेरी मजाक बना गये वो,

बेवफाई का इल्जाम वो मेरे सिर दे गए।


दोष किसको दूँ उनको या हालात को,

जाते हुए मुझे ख़िताब ऐ फकीर दे गए।


मेरी मोहब्बत ही इतनी गरीब निकली,

कौड़ियों के भाव गैरों को ज़मीर दे गए।



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