ग़ज़ल

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read

साज़ ए  दिल को  एक तराने की  जरूरत है

सज चुकी महफ़िल आप के आने की जरूरत है


भरभरा के गिर जायेगी गलतफ़हमियों की दीवार

एक  ईंट  नीचे से  खिसकाने की जरूरत  है


खुद ही समझ जायेगा दिल ज़माने की ऊंच नीच 

एक आध  धोखा और  खाने की  ज़रूरत  है


कभी भी फट सकता है  मजहबी बैर का बम

बस छोटी  सी चिंगारी दिखाने की जरूरत है


मंदिर में अल्लाह , मस्ज़िद में राम नज़र आएंगे

सोच  को ज़रा  ऊंचा  उठाने  की  जरूरत है 


ज़िन्दगी में  बड़ी  छलांग  लगाने  से  पहले 

दो कदम  पीछे  हट जाने  की  ज़रूरत  है 


अच्छे  दिल  वाले  लूट  खसूट  लिए जातें हैं 

रहमदिली भी  लोगों से छुपाने  की जरूरत  है 


कितने ही  रिश्ते टूटने से  बचाए जा सकते हैं 

सर अपना बस  ज़रा सा झुकाने की जरूरत है 


बहुत आसां  है ' राज '  तुझे  विचलित  करना  

तेरी  दुखती  रग  बस  दबाने की जरूरत है



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