ग़ज़ल

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 745
Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 0 mins read

बैठा है अपने दिल में छुपाकर राज कोई।

बंद लबों से दे रहा है मुझे आवाज कोई।


अपनी आँखों से हाल ऐ दिल बयाँ करके,

निभा रहा है मोहब्बत का रिवाज कोई।


दिल गुनगुना बैठा तराना ऐ मोहब्बत,

दे गया चुपके से मोहब्बत का साज कोई।


दिल धड़काया नज़रों से नजरें मिला कर,

ऐसे कर गया मोहब्बत का आगाज कोई।


अजीब सी हालत हो गयी मोहब्बत में,

ना जाने कैसे होगा इसका इलाज कोई।


दिन रात ख्यालों में खोई रहती हूँ मैं,

खुद से भी प्यारा लगने लगा आज कोई।


जिस दिल पर लाखों पहरे बिठा रखे थे,

आज उस दिल का बन गया सरताज कोई।


बस एक ही दुआ है मुझे मिल जाए वो,

नहीं चाहिएँ मुझे तख़्त ओ ताज कोई।


उसकी मोहब्बत के साये में बीते जिंदगी,

सच कहने में रखती नहीं हूँ लिहाज कोई।

0 likes

Support Aman G Mishra

Please login to support the author.

Published By

Aman G Mishra

aman

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.