ग़ज़ल

ग़ज़ल

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

तू ख़्वाब है दुनिया का ,मैं क्या करूँ,

तू चाँद है तो चाँद का , मैं क्या करूँ।


चन्द जुगनुओं से रोशन है मकां मेरा,

आधी रात आफ़ताब का,मैं क्या करूँ।


चाँदनी रात में तो जहां साथ चलता है,

अमावस अंधेरी रात का, मैं क्या करूँ।


शब-ए- वस्ल तो बातों में गुज़र गयी,

तू ही बता उस बात का, मैं क्या करूँ।


हमारी मुलाक़ात वायदों में टलती रही,

ख़्वाब हुई मुलाक़ात, का मैं क्या करूँ।

©aman_g_mishra

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Aman G Mishra

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