नैनास्त्र

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read

#नैनास्त्र


तुम्हारा नैनास्त्र अमोघ है।

प्रक्षेपण होता है इसका भौंहों की प्रत्यंचा से।

तपस्या - व्रत - ध्यान की ढालें 

क्षण में ध्वस्त कर,

वह जा लगता है ऐच्छिक लक्ष्य से।

और फिर अविजित लौट आता है अपने तूणीर में।


उसका लक्ष्य जड़ और चेतन दोनों हैं।

पर चेतन पर वार अधिक सघन है।

वर्षों की शील एकाग्रता और सोचने की क्षमता

सम्मोहित हो पल में

धर लेती है रूप तुम्हारा।


कौन कहता है नर शक्तिमान है।

वह त्रिया से अधिक बलवान है।

संभव है ऐसा कोई अबोध कहे।


मैंने देखा है बड़े बड़े वीर्यवान - शौर्यवान को क्षण में धराशायी होते

मात्र इस शस्त्र के विमोचन से।

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