स्वयं-सुधार

जूझ रहा हूँ, कुछ सूझ रहा हूँ, हर-पल एक पहेली बूझ रहा हूँ। अब हर पहेली का, हल निकाल डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। लड़ता रहा,झगड़ता रहा, खुद से,खुद को मिटाता रहा। अब हरेक गलती को,जड़ से मिटा डालूंगा, अब हार नही मानूंगा।। जमाने की सुनता रहा, खुद को ताने बुनता रहा। अब मैं खुद की सुनूंगा, और यही ठानूंगा, अब हार नही मानूंगा।। गलतियां पे गलतियां करता रहा, अपनी हार पर,खुद को हारता रहा। अब कुछ भी हो,मैं खुद को ही सुधारूँगा, अब हार नही मानूंगा।। अपने वजूद पर तरस आपने लगी थी , आईने के सामने शरम आने लगी थी। अपना वो चेहरा,अब खुद को नही दिखाऊंगा, अब हार नही मानूँगा।। पल -पल की कीमत पहचानूंगा, खुद की ज़ीनत ,अब बचाऊंगा। अब तक जो भी किया,सब भूल कर, एक नई जिंदगी मैं पाऊँगा।। अब हार नही मानूँगा। अब हार नही मानूँगा।। ©aman_g_mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 09 Aug, 2019 | 1 min read

जूझ रहा हूँ, कुछ सूझ रहा हूँ,

हर-पल एक पहेली बूझ रहा हूँ।

अब हर पहेली का, हल निकाल डालूंगा,

अब हार नही मानूंगा।।

             

लड़ता रहा,झगड़ता रहा,

खुद से,खुद को मिटाता रहा।

अब हरेक गलती को,जड़ से मिटा डालूंगा,

अब हार नही मानूंगा।।


जमाने की सुनता रहा,

खुद को ताने बुनता रहा।

अब मैं खुद की सुनूंगा, और यही ठानूंगा,

अब हार नही मानूंगा।।


गलतियां पे गलतियां करता रहा,

अपनी हार पर,खुद को हारता रहा।

अब कुछ भी हो,मैं खुद को ही सुधारूँगा,

अब हार नही मानूंगा।।


अपने वजूद पर तरस आपने लगी थी ,

आईने के सामने शरम आने लगी थी।

अपना वो चेहरा,अब खुद को नही दिखाऊंगा,

अब हार नही मानूँगा।।


पल -पल की कीमत पहचानूंगा,

खुद की ज़ीनत ,अब बचाऊंगा।

अब तक जो भी किया,सब भूल कर,

एक नई जिंदगी मैं पाऊँगा।।


अब हार नही मानूँगा।

अब हार नही मानूँगा।।


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