सहयात्री-कहानी

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 03 Sep, 2019 | 1 min read

सहयात्री


आम दिनों में, राह चलते भी कुछ लोग मिल जाते हैं जिनकी कहानी कुछ बहुत ही अलग हुआ करती है.. इसी तरह का एक वाक़या मेरे साथ भी हुआ, मिलिए श्री मान बत्रा जी से, जो इन दिनो पुलिस इनस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है | बत्रा जी ने अपना पूरा नाम ना बताने की शर्त के साथ अपना अनुभव साझा किया है इसलिए पाठको से भी निवेदन है कि कहानी पर ध्यान दें ना कि पैमाईश पर | 


ओला कॅब की सुविधा आज कल बहुत आसानी से उपलब्ध है, और इस शेयरिंग कॅब की सुविधा का तो क्या कहना | अगर आप दूर-दराज के इलाक़े में रहते हैं जहाँ ज़्यादातर जनता इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं करती तो आप मेरी इस बात से अमूमन सहमत हो जाएँगे | किराया आधा हो जाता है और बात-चीत को कोई साथी मिल जाता है | ऐसे ही आज बत्रा जी से मुलाकात हो गई | उनकी कहानी सुनकर आपको भी सच्चाई की भावना पर यकीन होने लगेगा | 


बात कुछ वर्ष पहले की है तब बत्रा जी नये-नये स्नातक हुए थे, उनके एक मित्र ने पुलिस में भरती होने का फॉर्म भरा था | बत्रा जी ने भी अपने दोस्त के साथ सिर्फ़ ये सोच कर फॉर्म भर दिया कि उनके दोस्त को ये परीक्षा अकेले ना देनी पड़े | दोनो दोस्तों में एक साथ परीक्षा दी और पुलिस कॉन्स्टेबल के रूप में नौकरी पाई | बत्रा जी को घूमने का बहुत शौक था पर उनके मित्र को नहीं | बत्रा जी अक्सर कभी अपने भाइयों नातेदारों के साथ कहीं ना कहीं घूमने की योजना बना ही लेते थे पर उनका मित्र कभी घूमने को राज़ी नहीं होता | ऐसे ही एक सफ़र में बत्रा जी अपने बहनोई जी के साथ उनके किसी पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे| ट्रेन में एक साथी मुसाफिर पर उन्हे कुछ शुभा हुआ, पूछताछ में उस मुसाफिर के पसीने छूटने लगे तो कवायद और बढ़ गई | थोड़ी सख्ती करने पर बत्रा जी ने उस मुसाफिर के पास से 20 करोड़ रुपये के जाली नोट बरामद किए | इसके बाद तो उस मुसाफिर ने मामला रफ़ा दफ़ा करने की हर-संभव कोशिश कर ली, डरा-धमका कर भी देखा, रिश्वत खिलाने की कोशिश भी की और तो और अपने एक अजीज़ रिश्तेदार से बात भी करवाई जो कि उन दिनों एम. एल. ए. हुआ करते थे | परंतु बत्रा जी नहीं माने | उन्होने बीस करोड़ रुपयों के नकली नोटों को ना सिर्फ़ जब्त किया बल्कि उन महाशय पर 489 बी के तहत मुक़दमा दर्ज किया | पुलिस प्रशासन ने भी तुरंत कार्यवाही करते हुए उन महाशय पर आग्रिम जाँच की कार्यवाही शुरू की बल्कि बत्रा जी को भी तुरंत प्रभाव से पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में प्रोमोशन दिया | 


आज मेरे साथ बात करते हुए बत्रा जी ने उक्त घटना के साथ अपने हृदय की अन्तर्व्यथा भी बताई, "उस वक्त जब वो महाशय मुझे रिश्वत देने की कोशिश कर रहे थे तो उन्होने 50 लाख की पेशकश की थी, मैने मन ही मन उल्टी गणना शुरू कर दी थी, अगर मैं आने वाले 10 सालों तक भी इसी पद पर, इसी तनख़्वाह पर काम करता रहूँगा तो 10 साल बाद मेरी कुल आय 42 लाख रुपये होगी और फिर जब उसने तत्कालीन एम. एल. ए. से बात करवाई तो उसने मुझे एक करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव दिया, जो यक़ीनन मेरी गणना को मात देता था, मैं उसका प्रस्ताव मान ही लेता मगर इतने में ही उसने आगे कहा कि पैसे वो घर पहुँचने के बाद देगा और अगर मैं चाहूं तो साथ में चल सकता हूँ.. " बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होने कहा "अब फ़ैसला करना बहुत मुश्किल था, एक तरफ एक मुश्त एक करोड़ रुपये मिल रहे थे और दूसरी तरफ पुलिस विभाग क्या इनाम देगा ये पता नहीं था, इसी उधेड़बुन में था कि वो फिर बोल पड़ा कि क्या रक्खा है देश की सेवा करने में, एक करोड़ रुपये में मैं क्या-क्या कर सकता हूँ ऐसा गिनाने लगा, मेरा अपना घर हो सकता है, पसंद की गाड़ी, पूरी दुनिया में घूमने की आज़ादी और भी जाने क्या-क्या | उसके इस कथन के बाद फ़ैसला कुछ आसान सा हो गया | मैने तुरंत ही ट्रेन की चेन खींची और अगले रेलवे सुरक्षा बल की सहायता से पुलिस स्टेशन पहुँचा, फटाफट घटना की प्राथमिकी दर्ज की और नकली नोटों को हिरासत में डलवा कर उक्त व्यक्ति को रिमांड पर लिया | अगर वो देश वाली बात ना करता तो शायद मैं वो एक करोड़ रुपये लेने ही वाला था, मगर उसने ये बात कह कर मेरा काम आसान कर दिया, आज देखो मेरे विभाग ने मुझे इनस्पेक्टर बना दिया है, तरक्की भी मिली और इज़्ज़त भी, तभी से मैं सबको कहता हूँ मेहनत से काम करो और ईमानदारी से जिओ, किस्मत खुद आकर तुम्हारा दरवाजा खटखटाएगी | "


आपको ये अनुभव कैसा लगा ज़रूर बताना.. फिर मिलूँगा.. 


आपका...

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Aman G Mishra

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