भारत विडम्बना

तुम दृढ नही ,तो कुछ नही, तुम आज हो,पर कल नही! अपने विचारों की सदृढता, खो गयी या थी नही !! सिंधु की लहरों में अब , सिंह सी गर्जना नही ! बात कह के जो अटल हो, क्या वो अब भारत नही!! बाण शैया पर था लेटा, शब्द सार्थकता सही! अपने ही वचनों पर अमर हो, क्या वो गंगा-सुत तुम नही!! दुनिया को सिखलाया इसी ने, ज्ञान-दीपक था यही ! क्षुद्र-पाखण्डी प्रभावित, क्या ये भारत था वही!! गंगा की लहरें भी न बदली, अब भी हिमालय खड़ा वहीं! तब क्यों कहता है ये भारत, अब स्वर्ण की चिड़िया नही!! क्या अब इस माटी में , वो वीर पैदा होते नही! कि भारत माँ की छाती में, अमृत सा अब पय नही!! फिर क्यों उसकी संतानों में , वो तेज दिखता ही नही! जो बता दे विश्व को, अब भी ये भारत है वही!! अब भी ये भारत है वही!! भारत माता की जय!! जय हिंद!! ©aman_g_mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 14 Jun, 2020 | 1 min read

तुम दृढ नही ,तो कुछ नही,

तुम आज हो,पर कल नही!

अपने विचारों की सदृढता,

खो गयी या थी नही !!


सिंधु की लहरों में अब ,

सिंह सी गर्जना नही !

बात कह के जो अटल हो,

क्या वो अब भारत नही!!


बाण शैया पर था लेटा,

शब्द सार्थकता सही!

अपने ही वचनों पर अमर हो,

क्या वो गंगा-सुत तुम नही!!


दुनिया को सिखलाया इसी ने,

ज्ञान-दीपक था यही !

क्षुद्र-पाखण्डी प्रभावित,

क्या ये भारत था वही!!


गंगा की लहरें भी न बदली,

अब भी हिमालय खड़ा वहीं!

तब क्यों कहता है ये भारत,

अब स्वर्ण की चिड़िया नही!!


क्या अब इस माटी में ,

वो वीर पैदा होते नही!

कि भारत माँ की छाती में,

अमृत सा अब पय नही!!


फिर क्यों उसकी संतानों में ,

वो तेज दिखता ही नही!

जो बता दे विश्व को,

अब भी ये भारत है वही!!

अब भी ये भारत है वही!!


भारत माता की जय!!

जय हिंद!!

©aman_g_mishra

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