अग्नि-परीक्षा

कवि , संघर्ष को शब्दों में पिरो दे तो काव्य का निर्माण होता है।

Originally published in hi
Reactions 0
556
Aman G Mishra
Aman G Mishra 13 Jun, 2020 | 1 min read

आग को ये तन समर्पित कर दिया है,

हो रही अग्नि-परीक्षा।


ताप को ये मन समर्पित कर दिया है,

हो रही अग्नि-समीक्षा।


जल रहा है मन ये जल जल

तप रहा है तन ये हर पल।


जल रहे हैं पाप सारे,

टल रहे अभिशाप सारे।


अब लपट को प्राण अर्पित कर दिया है,

हुई पूरी अधूरी-शिक्षा।


निर्मल हुआ जल ये जल जल

सीता हुई अब और शीतल।


धुआं हो जब अहं जल जल,

पूरा हुआ तप ये उस पल।


तारा बन के नभ प्रज्वलित कर दिया है,

मिल गयी जब सूर्य-दीक्षा।


हो गयी राघव कृपा जब से अमन पर,

कर रही अग्नि भी रक्षा।।


-aman g mishra

0 likes

Published By

Aman G Mishra

aman

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.