तुम ज़िंदा हो तो सबूत रखो

तुम ज़िंदा हो, तो सबूत रखो, यहां कुछ मुर्दे टहलते रहते हैं। बातों में आग से खेलते हैं जो, धूप लगते ही पिघलते रहते हैं। इनकी बातों में मैं नही आता, ऐसे लोग तो, मिलते रहते हैं। तुम सच्चाई को हिम्मत से कहो, कुछ लोग ज़ुबान सिलते रहते हैं। तुम अपनी क़द्र करना सीखो, लोग फ़न को कुचलते रहते हैं। तुम चराग़ जलाये रखा करो, रास्ते में सांप निकलते रहते हैं। अपनी बातों में वज़न रखो अमन, यहां सब फालतू ही बोलते रहते हैं। aman g mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 14 Jun, 2020 | 1 min read

तुम ज़िंदा हो, तो सबूत रखो,

यहां कुछ मुर्दे टहलते रहते हैं।


बातों में आग से खेलते हैं जो,

धूप लगते ही पिघलते रहते हैं।


इनकी बातों में मैं नही आता,

ऐसे लोग तो, मिलते रहते हैं।


तुम सच्चाई को हिम्मत से कहो,

कुछ लोग ज़ुबान सिलते रहते हैं।


तुम अपनी क़द्र करना सीखो,

लोग फ़न को कुचलते रहते हैं।


तुम चराग़ जलाये रखा करो,

रास्ते में सांप निकलते रहते हैं।


अपनी बातों में वज़न रखो अमन,

यहां सब फालतू ही बोलते रहते हैं।


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