जब मैं डर गया

उस शाम से मुझ में डर घर कर गया, जबसे मैं उस गली से गुज़र कर गया। सूनी गली में खंडहर हवेली से क्या गुज़रा, उस वक़्त कोई उलटे पांव लौट कर गया। शाम के सन्नाटे बीच चीखती आवाज़, कोई परिन्द बाज़ू से फड़फड़ा कर गया। रोएं खड़े आंखें चेतीं पैर थरथराने लगे, एक झोंका आया औ' लगा मैं मर गया। दिल-ओ-दिमाग-ए-हाल खौफ़-ज़दा मैं इतना डरा चश्म पानी से भर गया। इस हालत में कुछ न सूझा, माँ ने कहा था, "राम नाम लेना'',लेते ही, सारा डर गया। - Aman G Mishra

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 22 Jun, 2020 | 1 min read

उस शाम से मुझ में डर घर कर गया,

जबसे मैं उस गली से गुज़र कर गया।


सूनी गली में खंडहर हवेली से क्या गुज़रा,

उस वक़्त कोई उलटे पांव लौट कर गया।


शाम के सन्नाटे बीच चीखती आवाज़,

कोई परिन्द बाज़ू से फड़फड़ा कर गया।


रोएं खड़े आंखें चेतीं पैर थरथराने लगे,

एक झोंका आया औ' लगा मैं मर गया।


दिल-ओ-दिमाग-ए-हाल खौफ़-ज़दा

मैं इतना डरा चश्म पानी से भर गया।


इस हालत में कुछ न सूझा, माँ ने कहा था,

"राम नाम लेना'',लेते ही, सारा डर गया।


- Aman G Mishra



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Aman G Mishra

aman

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    👌👌

  • ARUN SHUKLA Arjun · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहतरीन रचना

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