मकर संक्रान्ति

मकरसंक्रान्ति का महत्व एवं उत्सव पद्धति

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 15 Jan, 2020 | 1 min read

मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, यह जनवरी माह के 14वें या 15 वें दिन पड़ता है। इस दिन सूर्य का धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश होता है। जिसका संकेत होता है कि अब ठंड में कमी और बड़े दिनों का आगमन होने लगेगा।
यह त्योहार पूरे भारत में अनेक पद्धति से मनाया जाता है, कहीं खिचड़ी तो कहीं पोंगल।

हिन्दू सनातन पद्धति में दक्षिणायन को अशुभ माना जाता है, और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। अतः इस दिन स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन किया हुआ दान सौ गुना होकर पुनः वापस आता है। इस दिन शुद्ध घी और कम्बल का दान मोक्ष प्रदान करता है। यह इसलिए कि पीड़ित एवं असहाय जन भी ठंड से सुरक्षित रह सकें। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट है:-

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

इसदिन गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है एवं गंगासागर स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है।
सामान्यतः हिन्दू पञ्चाङ्ग एवं तिथि चंद्रमा की गति के आधार पर निर्धारित होती है। पर मकरसंक्रान्ति सूर्य की स्थिति से तय होती है, इसीलिये ये हमेशा 14 या 15 जनवरी को होती है।

मकरसंक्रान्ति की अनन्त शुभकामनाएं!!
इति!

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Aman G Mishra

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