परिपक्वता !

परिपक्वता बेहद जरूरी !

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Akhilesh  Upadhyay
Akhilesh Upadhyay 28 Jul, 2020 | 1 min read
@maturity#

परामर्श एक अविचल सुझाव को जोड़ - कार्यसिद्धि को जन्म देता है , जिसका उद्देश्य मात्र औपचारिकता नहीं बल्कि आपके मानसिक विकास की गति को आप ही की अन्तर्मन में हो रहे द्वंद को शांत करके आपके गुणों का व्याख्यान कर वास्तविक रूप से विवेकशीलता का परिचय दे .....तथा सभी स्थितियों परिस्थितियों में भ्रम से बुद्धि व्याकुल ना हो यही परिपक्वता कहलाती है। 

इसके विपरित अपनी पहचान में बदलाव  के बीज बोना तथा उनका रसपान करना अपरिपक्वता कहलाती है ।

परिपक्वता अपने विश्वास से उत्पन्न होती है जिस प्रकार आप विश्वास करोगे आपकी चित्त उसी ढांचे में संवरती जाएगी लेकिन यदि आप विश्वास को भी मन के घेरे में अंकित कर देंगे तो यह आपकी उसकी परिपक्वता को बेवकूफी यानी अपरिपक्वता में बांध देगी।

हर एक काम का एक उचित समय ,उचित स्थान और सही तरीके के साथ करना ही आपकी समझदारी को दर्शाता है ...

उदाहरण के लिए - "किसी शोक सभा में पूरा वातावरण शोकमय विरह में डूबा हुआ है ; तभी अचानक से वहां हास्य पूर्ण विनाशी व्यतिकरण का प्रभाव हो और लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचे।"

ये बात पूर्णतः सत्य की पुष्टि नहीं करता है कि उम्र के हिसाब से या फिर एक निश्चित उम्र में  इंसान परिपक्वता की सीढी बन जाए ; एक 6 माह का शिशु भी अपनी मां के रोने पर अपनी प्रतिक्रिया रो कर व्यक्त करता है अर्थात् सही समय में उस शिशु ने भी अपनी परिपक्वता का परिचय दिया है।

कभी - कभी परिपक्वता में भी अपरिपक्वता व्याप्त होना बेहद जरूरी होता है ; इसका एक बहुत ही मजेदार दृष्टांत है ; "एक महिला अपने पति के घर दूरी पर विलाप कर रही है तभी बीच में उसकी इस विलाप को व्यंग्य वचन से क्षणिक खुशी में बदल देना ....हा...हा...हा...हा...!"

वैचारिक प्रतिबद्धता , सार्थकता , सामाजिक परिदृश्य एवम् सैद्धांतिक आदर्शवादिता के रूप में सहमती शैक्षिक निहितार्थ से परिभाषित होता है जो वास्तव में परिपक्वता रूपी सोच को प्रदर्शित करती है ।

कटु सत्य यह भी है : रूढ़िवादिता तथा परंपरागत स्रोत इसके मूल जन्मदाता है, जो आगे भी इसी तरह परिवर्तन के साथ आधुनिकता को ग्रहण कर रही है तथा अपरिपक्वता मूर्खता का प्रमाण विकसित रही है। 


धन्यवाद् ।✍️✍️✍️

~Akhilesh upadhyay 

@_just_akhi_

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Akhilesh Upadhyay

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