इलाहाबाद का किला

इलाहाबाद की धरोहर

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Akanksha Nitesh
Akanksha Nitesh 31 Jul, 2020 | 1 min read

मैं हूं इलाहाबाद का किला!!

जी हाँ अकबर का बनवाया हुआ वही किला जो तीर्थराज प्रयाग की पावन धरा पर गंगा जमुना मइया की गोद मे बसा।

सन 1575 से जो बनना शुरू हुए कि बनाने वाले बच्चे बूढे तक हो गए सुना है कि 45 साल से भी अधिक समय लगा था बनने में,

पर ख़ुशी इस बात की है कि हम पूरे भारत मे कुँवारे किले है।

जी हाँ ! कहते है कि जो किला युद्ध न देखे वो कुँवारा होता है। मैंने कभी कोई युद्ध तो देखा नही और न कभी कोई युद्ध देखना चाहता हूँ।

लोग कहते है हर किला एक युद्ध मांगता है पर हम ऐसा नहीं सोचते।हमको तो माँ गंगा का सानिध्य प्राप्त हुआ है ।जीवन की सभी अभिलाषा पूर्ण है।

 मुझे नक्काशीदार पत्थरों से बनाया गया बनावट ऐसी कि मैं अपनी विशिष्ट बनावट, निर्माण और शिल्पकारिता के लिए जाना जाता हूँ। जब मेरी नक्काशीदार पत्थरों की विशायलकाय दीवार से यमुना मईया की लहरे टकराती है तो लगता है कह रही हो अंदर बैठे सभी देवी देवताओं को स्नान करा के मानेंगी।

अरे !!मैने तो बताया ही नही कि अंदर पातालपुरी में कुल 44 देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जहां लोग आज भी पूजा पाठ करते हैं। बड़ा मनोरम दृश्य देखने को मिलता है

आने जाने वाले सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाजत है आखिर कोई इतनी दूर से आये और उसको दर्शन न करने को मिले तो मैं खुद को अभागा समझूँगा । यहां अक्षय वट के नाम से मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ और पातालपुरी मंदिर भी है।कहते है इस अक्षय वट को माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त है। जो कभी नष्ट नही होगा।

मेरे भी कम राजसी ठाट बाठ नहीं रहा यही किले के अंदर एक टकसाल भी था, जिसमें चांदी और तांबे के सिक्के ढाले जाते थे। यही उस समय पानी के जहाज और नाव बनाई जाती थी। जो यमुना नदी से समुद्र तक ले जाई जाती थी।

बहुत ज़माने देखे मैने राजे रजवाड़े ,फिरंगी हुकूमत ,और अब भारत की सेना को समर्पित हूँ।

सब किले की अपनी किस्मत होती है मुझे माँ गंगा की गोद नसीब हुई लेटे हुए बजरंगबली का  सानिध्य और खूब सारे मंदिर जो मेरे प्रांगण में है। जब गंगा जमुना मइया हिलोरे मारती हनुमानजी के चरण छूती है तो बड़ा सुकून लगता ।यह दृश्य देखने को तो सभी देवता भी लालायित रहते है।तभी तो माघ के महीने में सब प्रयाग आ जाते है।

और पूरे कुंभ मेले को यही से देखता हूँ।लोगो को मिलते बिछड़ते खुश होते गाते बजाते ।तब खुद को धन्य समझता हूं।

खड़ा रहूंगा हमेशा ऐसे ही आन बान शान से,मिलना जरूर।

Akanksha Nitesh

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