'प्रेम'

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Abhishek Singh Tomar
Abhishek Singh Tomar 12 Sep, 2019 | 1 min read

लड़का फटी जींस खरीद लाया है। वह उसे पहन कर सीधे शोरूम से मेरे पास पहुँचा है। आगे-पीछे घूम-पलट कर मुझे उसकी फिटिंग और डिज़ाइन दिखा रहा है। 

"मस्त है न ? थोड़ी महँगी पड़ी , लेकिन ले डाली। मेरे पास ऐसी जींस बस एक ही और है।"

मैं उस नीली जींस के फटे फैब्रिक को देखकर मुस्कुराता हूँ जिसमें से उसकी जाँघों की भूरी चमड़ी झाँक रही है। आजकल जिस्म कपड़ों से आज़ाद हो रहे हैं और विचार भाषा से। यह युग हर सम्बन्ध से आज़ादी का युग है , अब हम सब 'व्यक्ति' की तरह रहेंगे और सोचेंगे। 'समाज' की तरह सदियों सोचा तो क्या मिला , शोषण-युद्ध-ग़ुलामी , बस यही सब तो ? हर जगह ! 

"दिस लुक्स कूल , इज़ंट इट ? सो बोहीमियन !" अपनी बाइक की कीरिंग नचाते हुए वह कहता है। 

कीरिंग में एक इंसानी मुट्ठी का डिज़ाइन है , जिससे मिडिल फिंगर निकली हुई है और ऊपर अँगरेज़ी में 'फ़क' शब्द अंकित है। 


"उन्मुक्तता को तुम नियमबद्धता की तरह से जीते हो , अक्षय। उन्मुक्तता का कोई प्रीडिफाइंड पैटर्न नहीं है।"मैं उसे इशारे में समझाता हूँ। 

"मैं बस परिन्दे की तरह हवा में उड़ना चाहता हूँ , रूल्स-रेगुलेशंस को नीचे-बहुत नीचे छोड़ कर।" वह मस्तमौला अंदाज़ में जवाब देता है। 

मैं उसे बताना चाहता हूँ कि चिड़िया का हवा में उड़ना उन्मुक्तता नहीं है , चिड़िया उतनी फ्री नहीं है जितनी लोग उसे समझते हैं। वह नियमों में बँधी उड़ान भरती है , जैसे कोई अनुशासित पतंग हो। अगर वह बिलकुल उन्मुक्त हो जाएगी तो नीचे गिर पड़ेगी या किसी बाज का निवाला बन जायेगी। मैं उससे कहना चाहता हूँ कि टोटल फ्रीडम इज़ ए मिथ ऐंड इट विल जेनरेट एनार्की। मगर मैं मौन ही रहता हूँ। जिस 'कूल' ज़िन्दगी को वह जी रहा है उसमें सन्तुलन , वह मेरे कहने से नहीं , अपनी स्वेच्छा से लाये , मेरी इच्छा यही है। 

अक्षय की एक मित्र है , जिसे मैं आयशा और वह अपना 'माल' कहकर बुलाता है। उसके इस सम्बन्ध के बारे में मैं उतना ही जानता हूँ जितना वह मुझे बताता है। ज़्यादा खोदकर पूछना मेरी आदत नहीं। 

"मेरा माल सनी लियोनी जैसा लगता है न , बस अगर थोड़ी पतली होती तो ! आपसे मिलने के लिए कह रही थी वो , आज ही शाम चलिए आप।" 

मुझे सनी लियोनी से अपनी प्रेयसी की शारीरिक तुलना से कोई परहेज नहीं। गर्लफ्रेंड में फ़िल्मी हीरोइन ढूँढना बड़ी नॉर्मल सी बात है , यह वह यथार्थ से पलायन है जो इस उम्र के सभी लड़के-लड़कियाँ किया करते हैं। मुझे भरोसा है कि धीरे-धीरे अक्षय भी आयशा में आयशा के अलावा किसी सनी लियोनी को ढूँढ़ना बन्द कर देगा मगर क्या तब तक उसका यह संबंध चल पाएगा?

"सनी लियोनी से खाली यौन-मुद्राएँ ही सीखते हो या कॉन्डोम का प्रयोग भी ?"

वह खिलखिला पड़ता है। "क्या भैया आप भी ? वह कौन सा मुश्किल काम है ? बताइए , आयशा से मिलेंगे ?"

 "अरे , मगर वह मुझसे क्यों मिलना चाहती है ?" मैं उससे ज़ोर देकर पूछता हूँ। 

"मैंने उसे बताया है कि आप बड़े कूल हैं , मस्त हैं। फ्री सोचते हैं। पता है मुस्लिम फैमिली से होने के बाद भी , आयशा टू बिलीव्स इन ऐथीइज़्म एंड फ्रीथिंकिंग । शी इज़ सो क्यूरियस। " उसने बताया।

"

फिर कुछ ऐसा होता है कि आयशा से मिलने की नौबत ही कभी नहीं आती। बड़े दिनों के बाद आज फिर अक्षय मेरे सामने बदहवास खड़ा है। 

"भैया , कोई रास्ता बताइए ! कोई तो चारा होगा ? शिट !" वह माथे पर चमकते पसीने के सहारे बालों को पीछे ठेलते हुए कहता है। 

"घर में किसी को बताया है ?" 

"अरे भाई , आप कैसी बात करते हैं ? घर वाले मार डालेंगे ! और उसके अब्बू उसका गला दबा देंगे। हिन्दू-मुस्लिम का एंगल भी तो है !"

"तो शादी कर लो उससे। तुम दोनों बाइस के हो चुके हो, तीन साल की रिलेशनशिप है। वैसे भी चौथा महीना शुरू हो चुका है ... "

"शादी ? व्हॉट द फक ! शादी न उसे करनी है और न मुझे। वी वर जस्ट एक्स्प्लोरिंग इट आउट। पता नहीं यह सब कैसे हो गया ? कॉन्डम लगाया था मैंने। आइ गेस ठीक से ही लगाया होगा।"

"तो क्या बच्चा गिराओगे ?"

"गिराना ही पड़ेगा। और कोई चारा नहीं है।" कहते हुए वह उठता है और चल देता है। 


उस समय मैं नहीं जानता था कि वह मेरी और अक्षय की आखिरी मुलाक़ात होगी । उसके मन की उधेड़बुन को मैं उसके हिसाब से शान्त नहीं कर सका था। इंसान कई बार सवाल उठाते समय जवाब जानता है मगर उसे दूसरे के मुँह से सुनना चाहता है। अपने मन की गूँज सुनना , यह उसके स्वभाव में निहित है। 

मैं उसकी गूँज न बन सका था और उसे मेरी मुक्तता अपनी मुक्तता से बहुत अलग दिखायी पड़ी थी । खैर। चलो , बात खत्म हुई। मेरा एक और सम्बन्ध खामोशी से मर गया। 

 एक दिन अचानक मेरे व्हाट्सएप पर एक अनजान आइएसडी नम्बर से मेसेज गिरता है। 

"हाय भैया। होप यू आर ओके। सॉरी फॉर लीविंग लखनऊ अब्रप्टली। आप से मिल भी नहीं पाया। मैं यहाँ कैनेडा में हूँ। आप से बात करनी है। व्हॉट इज़ द गुड टाइम टु कॉल यू ?"

अक्षय 


मैंने पल भर को कुछ सोचता हूँ , फिर मुस्कुरा कर उस नम्बर को सेव करता हूँ और मेसेज का जवाब भेज देता हूँ ।"शाम को। आठ और नौ के बीच में , इंडियन टाइम।" 

फिर तभी बाएँ कोने के गोले में नज़र आती उसकी प्रोफाइल पिक को बड़ा करता हूँ तो मेरी आँखें छलक आती हैं । वह एक फैमिली पिक है । अक्षय , आयशा और एक नन्हीं सी गुड़िया। उसमें तीनों चेहरे संग-संग पूरी तरह से मुक्त नज़र आते हैं , अपने-अपने बन्धनों से , अपने-अपने तरीकों से मुक्त। और नीचे मेसेज लिखा है , 'लव बिगेट्स द बेस्ट ऑफ़ फ्री थॉट्स , लव समवन टु बी अ फ्रीथिंकर।"

“प्रेम सबसे सुन्दर मुक्त चिन्तनों का जन्मदाता है , मुक्त चिन्तन के लिए किसी से प्यार करो।”


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Abhishek Singh Tomar

ajay802317

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