राह

यात्रा जब भी हो अंतर की ही हो.. मैंने जाना है की बाहर छल है, गरल है.. काल दयावान है कारण है की चाहता है हम सूक्ष्म जाए.. अन्यथा.. सब माया है एक काया है, भेद ना कोई जान पाया है..।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 612
Aadiramani
Aadiramani 09 Jul, 2022 | 0 mins read

सुमार्ग का तो कोई ज्ञान नही मुझे.. परंतु अब प्रतीत होता है जैसे एक राह ऐसी होगी जो जीवन को जीवंत कर पाए। मुझे ये आभास होता रहा की जीवन अब निम्न आभा पे है क्या हम में वो साहस नही की पौरुष का उपयोग ले सकें जैसे कभी उस सूर्य पुत्र ने लिया.. जब भी राह ये सवाल करती है मानव सदैव अपने तुच्छता और असहासि होने का प्रमाण अपने मौन में देते आया है। क्या प्रकृति के साथ मनुज का छल अच्छा है? आज उसमें सरलता है ही नही क्या यही मनु व्यवहार है.. सृष्टि मे मनुष्य के सृजन का क्या औचित्य है? एक रहस्यवादी बनके जब मेरा ये मनस शब्दों का सहारा लेता है तो मैं कोई लघुकथा नहीं बल्कि वो प्रकाशित शब्द लिख रहा होता हूँ.. जिसपे अमल करना इस कलम का कायनात पे जीत हाशिल कर लेना है।

आदिरमानी✍️?

राह

राह


0 likes

Support Aadiramani

Please login to support the author.

Published By

Aadiramani

aadiramani

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.