कैसा ये संसार हुआ है।।

दुख नही है संसार मे ,बस यहा दूसरो के सुख से दुखी है

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udit jain
udit jain 04 Jun, 2020 | 0 mins read
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कैसा ये संसार हुआ है,

मानव है पिंजरे के अंदर,

पक्षी बाहर घुम रहा है।।

ना ही रोटी, ना ही धोती,

विपदाओ का अंबार लगा है।।


कैसा ये संसार हुआ है,

मजदूर अब पैदल चलते है,

कोई उनको सेवा देता है,

नोट है भरने मे लग रहे,

क्या होगा यह कौन सोचता है।।


कैसा ये संसार हुआ है,

पेट खाली ले वो है चल रहे,

लाखो पैसा खर्च भी कर रहे,

फिर भी नही मिलती उनको है,

मदद कहा है यह अभी सब सोच रहे है।।


कैसा ये संसार हुआ है,

ड़डे खाते रोड़ पर ये,

जिसने देश की नींव धरी,

नही कोई उनके बगैर था,

अपने घर मे कदम दे रखते।।


कैसा ये संसार हुआ है,

जिसने खंड़र घर किये है,

घर जिसने मकान किये,

उन मकानो तक आज कौन उनको पूछे है।।



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udit jain

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