मजबूर है साहब

हम भी पेट पालने को रास्ते पर चलते है

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udit jain
udit jain 12 Jun, 2020 | 1 min read
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छोटी उम्र में काम करना अच्छा उन्हे भी नहीं लगता है ,

परिवार भूखा हो तो किसको कहाँ कुछ दिखता है।।


अपनो के साथ तो जीवन है छोटा यहाँ,

रोता अपनों को देख फिर रूका जाता कहां।।


बाल मजदूर है नही हम शौक से इस संसार मे,

हालात से हम लड़ते लड़ते ढल गए एक परिवार मे।।


मन हमारा भी होता दूसरो को पढ़ता देखकर,

नेता भी मुड़ जाता है हम जैसों को आता देखकर


नही पैरो मे चप्पल होती और धूप सर पर जोरो से हो,

कैसे रोये अपने इस दुख को लोग जहाँ मुँह फेरे हुए हो।।


नही चाहिए जीवन जहां मेहनत कर के भी सिर्फ दुख हो,

अब किसी बालक का न मजदूरी की तरफ फिर से मुख हो।।


-उदित जैन 

@imuditjain

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