वो अजनबी इंसान

सपनो को हकीकत मे ढूँढ़ने चले है।

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udit jain
udit jain 11 Jun, 2020 | 1 min read
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मेरे ख़्यालो की रानी है वो,

है कोई परी या नदी का पानी है,

कौन है वो मुझे कुछ पता ही नही,

मेरे सपनो मे आती है यही बस कहानी है।।


सुंदर सी मूरत उसकी,नैन मोती जैसे है,

गालो की लाली,दिल मे बसती जाती है,

दीर्घ चोटी पहाड़ जैसा तन है,

प्यासा सा मै तो वो पानी से थोड़े न कम है।।


हर कहानी का किस्सा सी है वो,

मै जहाँ चलूँ मेरी परछाई सी है वो ,

मेरा साया बनकर मेरे संग रहती है वो,

मेरे हर लफ्ज को बिन कहे समझ जाती है वो।।


सपनो सी बन कर जीवन मे रह गई वो,

कविता को अपनी अजनबी यादों मे खो गई,

मंजिल नही मिली सफर की तलाश मे यहाँ,

अजनबी से शहर मे अकेला छोड़ गई वो।।


-उदित जैन 

(Delhi)

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udit jain

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