मैं माँ हूं

बच्चे की परवरिश के लिए सही गलत तय आप करे

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 20 Jun, 2020 | 0 mins read
Single child Parenting

सना एक लड़के की माँ है, बहुत से कारण थे जिनमे से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी जिसने उन्हें एक ही बच्चे पर संतुष्ट रहना मंजूर था। पर शुरू से ही जो बात ज्यादा परेशान करती थी वो यही थी हर कोई एक ही बात कहता था की इकलौता बच्चा बिगड़ जाता है, जिद्दी हो जाता है, आपके हाथ में नहीं रहता वगैरह वगैरह। शुरू के दिनों मे तो सना सुना अनसुना कर देती थी पर धीरे धीरे जैसे लोगों की बाते उसे परेशान कर देती थी । उसकी छोटी सी जिद पे वो बेचैन हो जाती, और खुद भी चिड़चिड़ी रहने लगी। सना के बच्चे की जिद पूरी ना करने पर उसकी सास यहां तक की माँ भी यही कहती कौन सा दस है एक ही तो है कर दो। पतिदेव के भी बोल कुछ अलग ना थे।

फ़िर उसने फैसला लिया की मैं माँ हूं और मुझे पता है की क्या ज़रूरी है और क्या नहीं। बात एक या दो बच्चे की नहीं बात सही और गलत मांग की थी। उसने प्यार से पतिदेव से बात की, देखिए माना वो अभी बच्चा है, पर यही तो बात है की वो बच्चा है! उसे नहीं पता पर हमे पता है, यूँ ही सारी मांगे पूरी करके हम उसे जिद्दी बनाएंगे और उसे "चाहत" और "जरूरत" का फर्क़ नहीं मालूम पड़ेगा। कहीं विषम परिस्थितियों में जब हम नहीं होंगे तो बहुत मुश्किल होगा उसके लिए। थोड़ा बहुत रोना धोना बच्चों का हक़ है आप इग्नोर करें मैं देखूँगी।


और आज सना काफी गौरवांवित महसूस करती है जब उसका बारह वर्षीय बेटे की तारीफ करते सब कहते हैं की कितना सुशील, समझदार लड़का है। शुरू से ही उसने उसके लिए जो भी जरूरी था सब पूरा किया और बाकी की चीज़ो के लिए आत्म मंथन करना सिखाया की क्या ये ज़रूरी है इस समय? सना ने उसे निर्णय लेने मे मदद की आज वो उसकी मदद करता है, सना के लिए एक दोस्त की तरह।


दोस्तों मुझे लगता है की ग़लती बच्चों की नहीं हमारी होती है। हम अपने प्यार का प्रदर्शन अगर सही गलत माँगों को पूरा करके करेंगे तो वो जिद तो करेंगे ही। कच्ची मिट्टी को आकार देते वक़्त थोड़ी कठिनाई तो होगी ही पर उसे सही आकार देना मेरा कर्तव्य भी है। कुछ कठिन निर्णय, थोड़ा अनुशासन भी ज़रूरी है। तो बच्चा एक हो या दो, मैं माँ हूं और मुझे पता है, क्या सही है। मैंने तो अपने इस चैलेंज पर जीत पाई और भगवान मुझे शक्ति दे ताकी युवावस्था में कदम रखते बेटे को भी ऐसे ही समझ सकूँ।

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