माँ तुम कितनी कुशल हो

माँ के बारे में क्या क्या कहें सब कम ही है

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 11 May, 2020 | 0 mins read

माँ तुम कितनी कुशल हो

असंख्य रातें जाग बिताई

पीड़ा फिर भी कभी ना जताई

आँखों में आंसू बच्चों के दुख पर

हृदय से तुम कितनी निर्मल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

स्वयं के सपने यूँही त्याग दिए

दूजों के सपने आँखों में फिर लिए

तिल तिल जल कर रश्मि बन कर

अनुभूति में फिर भी शीतल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

कई बार पथ से हम भटके होंगे

लक्ष्य से चूक राह में अटके होंगे

उस कठिन राह को आसान बनाती

तुम देखो कितनी समतल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

हमे भूखे कभी ना छोड़ा तुमने

खुद के लिए कुछ ना जोड़ा तुमने

अन्नपूर्णा तुम हो कैसा भंडार तुम्हारा

हर मौसम में फलित फसल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

जीवन में कितनी कड़ी धूप रही

तुम शीतल छांव स्वरुप रही

हर समस्या सुलझाने को तत्पर

शांत चित्त तुम ममता का आंचल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

कितनी गलतियां कर देती माफ

कलुषित संसार में हृदय से साफ

भेद कभी ना हम में करती

देखो ना तुम कितनी निश्छल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

बड़े हुए और पंख फैलाए

गए दूर फिर लौट ना आए

फुर्सत कहाँ तुम्हारी सुध ले

तुम मांगती यही की सब सकुशल हो

माँ तुम कितनी कुशल हो

देखो अब कहीं नहीं सुख पाते हम

काश बीते समय में लौट जाते हम

चाहत अब सिर्फ तुम्हारे आँचल की

कुटिया लगे संसार ये, तुम राजमहल हो

हाँ माँ तुम कितनी कुशल हो

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