Psychology Article-2

एनिमल फोबिया (लघुकथा)

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 07 May, 2020 | 1 min read


हेमा ने पिछले कई दिनों से अपने आप को घर मे ही बंद करके रखा था।हेमा 38 वर्ष की एक महिला थी।
शाम को उसने अपने कमरे की खिड़की खोली तो सामने के खाली मकान में उसे किसी की हलचल महसूस हुई और सुखे घास के पौधे हिलते दिखाई दिए।उसने तुरंत ही खिड़की बंद कर ली ये सोच कर की कही ये खिड़की से अंदर आ गई तो ?

हेमा 4 वर्ष की थी तब उसने अपने पिता को एक बिल्ली के छोटे बच्चे को पानी मे डूबा कर मारते देखा था जबकि उसकी मम्मी ने उसे बहुत समझाया कि उसके पापा ऐसा नही कर सकते।तब से वह बिल्ली से बहुत डरती है।जबकि यह कोई बहुत बडी घटना नही थी।पर हेमा ने सपने दिमाक में यह सारी चीजें सोच-सोच कर एनिमल फोबिया(animal phobia) को जन्म दे दिया था।
उसने कुछ दिन पहले सामने वाले घर मे जो कि बहुत दिनों से खाली है उसमें एक बिल्ली को जाते देखा था।तब से ही उसने अपने आप को कमरे में बंद कर दिया था।

तो चलिये आज हम एनिमल फोबिया के बारे में कुछ और जानकारी ले।

Animal phobia एक बहुत ही सामान्य बीमारी है जिसमे रोगी को विशेष तरह के जानवर से कुछ कारणों से डरने लगता है।एनिमल फोबिया महिलाओं में अधिकतर पाया जाता है।इसकी शुरुआत बाल्यवस्था (childhood) से होती है।जिस भी जानवर का रोगी को फोबिया होता है वह उसके नाम लेने मात्र से ही डरने लगता है या उस जानवर की फ़ोटो दिखाने या फर TV देखते समय यदि वो जानवर दिख जाए तो भी रोगी चिल्लाने या रोने या फिर भागने लगता है।
प्रमुख एनिमल फोबिया जैसे- बिल्ली से डर,कुत्ते से डर,चिड़िया से डर,घोड़ा से डर,साँप से डर,कीड़े - मकोड़ो से डर,मधुमक्खी से डर,चूहे से डर,आदि।

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