ईश्वर का स्वरूप।

ईश्वर देने का नाम है लेने का नही।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 26 Jun, 2020 | 1 min read
Worship

पेपरविफ में आज का टॉपिक वरशिप( worship ) है तो मैंने सोचा क्यों न मैं भी आप सभी के साथ अपने कुछ विचार औऱ किस्से शेयर करू।

बात कुछ उस समय की है जब एक साल पहले मैं गांव गई थी चाचा जी का लड़का हुआ था उसके मुंडन पर।पूरा प्रोग्राम अच्छे से हो गया अगले दिन गांव के मंदिर में दरवार लगा (मंदिर में लोगो की भीड़) था मेरे जा कर देखा तो वहां लोगो की भीड़ थी एक आदमी जो जोर-जोर से जमीन में सिर पटक रहा था सारे लोग उनके पास जा रहे थे और अपनी-अपनी परेशानी पता रहे थे और वो सभी की परेशानी का समाधान कर रहे थे मुझे विचार आया कि मैं 3 साल से नोकरी की तैयारी कर रही हूं क्यों न इन्ही से पुछु।उन्होंने बताया कि 2 साल के अंदर मेरी सरकारी नोकरी लग जायेगी।आज 4 साल हो गए और में ग्रहणी हूं नोकरी का कुछ अता-पता नही है। मुझे पूरी बात समझ आ गई थी।मैं सारा दिन यही सोचती रही कि मम्मी तो बोलती है कि भगवान सब की बात मानते है और जो भी भगवान से मांगो वो देते है।पर जो मेरे मांग वो क्यों नही दिया?

जितना मैं जानती हूं भगवान तो दो अगरबत्ती से भी खुश हो जाते है उन्हें किसी भी चीज का कोई लालच नही है।


मेरी सासु माँ हर सोमवार को बगल के एक गांव में जाती है और बताती है कि वहाँ एक औरत को माता आती है वही उसी औरत को 85% लोग पागल बोलते है।वो जोर-जोर से सर पटकती है,चिल्लाती है गांव में जिसे भी उनसे कुछ भी पूछना होता है किसी भी बारे में वो संमस्या का समाधान करती है।वो सब कुछ बता देती है कई बार भी सही और बहुत बार गलत भी।

सब का देखने का अपना-अपना नजरिया होता है कोई उन्हें माता कहता है तो कोई उन्हें पागल।psychology और sciense भी इसे काफी हद तक मानसिक डिसऑर्डर मानती है। ऐसा नही है कि में भगवान पर भरोसा नही करती हूं पर कुछ-कुछ बातो का कोई जवाब नही।ऐसा सुनने मैं आया था कि नवरात्रि में आरती के समय उस औरत ने खुद का हाथ तरवार से काट लिया था।अगर सच मे माता आती है तो उसका हाथ वो तुरंत ठीक हो जाना था पर वो 8 दिन अस्पताल में एडमिट थी।ऐसे और भी न जाने कितने किस्से है।

मैं भगवान को बहुत मानती हूं रोज पूजा करती हूं और भगवान मुझे वो सब कुछ देते है जो मुझे चाहिए होता है।


सविता कुशवाहा

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