पीहर की याद।

ससुराल चाहे जितना भी अच्छा हो मायका नही बन सकता।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 29 Jun, 2020 | 1 min read
Bundelkhandi

सविता रोज की तरह किचन साफ कर थी तभी उको छोटो देवर आ गओ।सभई ने खाना खा लिया था बस देवर ही बछो थो।आते ही मुझसे बोला भोजी तम रोज- रोज लोकी कये बना लेती हो????मैने कहा और कुछ होता नही न है भैया खाने में जो होता है बना लेती हूं।मैं बर्तन माजने चली गई और देवर खाना खाने लगा।एक कोर खाते ही बाहर की ओर भागा और खाना थूक दिया।भोजी जो बनाओ का है आज तुमने इतनी खराब सब्जी कितनी करई लग रही गई है।मैने कहा सब ने तो खायो है भैया कोनऊ ने कछु नही बोला फिर तमे कई करई लग रहा।भैया के पास कोनऊ जवाब न हतो।बिना खाना खाएं कमरे में चले गये। मैने कहा भैया और कुछ खाओगे कुछ और बना दु???उन्होंने कोई जवाब नही किया पापा जी ने भी उनपर गुस्सा किया कि जो सब का हो रहो है ??? बहु तुम कुछ न बोलो इनसे।आज 5 दिन हो गए है देवर जी ने मुझसे बात ना करि।इतनी सी बात खा इतना बड़ा बना दओ।एक ही घर मे रहते हुए यदि कोऊ एक भी इंसान बात न करे तो ग्गूटन सी हॉट होती है।पीहर में कितने गुरुर से राहत थी और यहाँ बिना गलती के चार बात सुन के भी चुप रहना है।सुसुर चाहे कितना भी आछो होए कबहु पीहर नही बन सकता।

सविता कुशवाहा



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  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    सही बात ससुराल कभी पीहर नही बन सकता

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