बचपन वाली गरीबी

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 15 Jun, 2020 | 1 min read

क्या कर रहा है तू धूप में जमीन पर इधर बैठा-बैठा चल जल्दी उठ ओर घर चल सरोज अपने बेटे रोहन से बोलती है।रुको न माँ बस 10 मिनिट औऱ थोड़ा धीरे बोलो अगर पवन लोगो ने सुन लिया तो वो या तो टी. वी. बंद कर देंगे या फिर दरवाजा लगा लेगे,7 साल का बिना बाप का रोहन अपनी माँ से बोला।

10 मिनिट बाद - माँ खाना परोसते हुए तुझे समझ नही आता है क्या?क्यों देखता है तू उनके घर के बाहर बेठ कर टी.वी माँ ने कहा ।तो क्या करूं माँ।आप घर पर टी.वी क्यों नही लाती।मुझे टी.वी देखना होता है।रोहन ने गुस्से से कहा।कहा से लाऊ टी.वी बता?दो वक़्त का खाना तो ला नही पाती हूं तेरे लिए टी.वी. कहा से लाऊ???

रोहन गुस्से से उठ गया और खाना भी नही खाया।सरोज को भी अब कहा भूख थी।रोहन तो बच्चा है लेटते ही सो गया पर सरोज को तो आज सारी रात नीद नही आने वाली थी।वो सारी रात यही सोचती रही कि कहा से लाऊ अपने रोहन के लिए टी.वी।

अगले दिन सरोज पवन के घर जाती है और बोलती है कि मैं आपके घर का सारा काम करुँगी उसके बदले आप मेरे रोहन को टी.वी देखने देगे सरोज की आवाज में दर्द था और एक उम्मीद थी।हमे नही करवाना तुमसे कोई काम और न ही रोहन को टी.वी देखने देना है।ऐसे ही किसी को भी हम घर पर बैठा के टी.वी थोड़ी दिखा सकते है।पवन की मम्मी ने सरोज से कहा।

ऐसा मत कहिये इतनी गर्मी में मेरा बेटा बाहर धूप में बैठा रहता है आपको उस पर दया भी नही आती????? सरोज के दर्द भरे शब्दो मे पवन की मम्मी को पिघला दिया और वो मान गई पर आपसे एक बिनती है आप इन सब के बारे में रोहन को मत बताना।

अगले दिन-हम कहा जा रहे है मम्मा??? रोहन ने अपनी माँ से कहा।

चल तो सही फिर बताती हूं।

जैसे ही दोनो वहां पहुँचते है ओर रोहन हमेशा की तरह बाहर जमीन पर बैठता है और सरोज हमेसा की तरह वहां से चली जाती है।पवन की मम्मी रोहन से बोलती है अंदर आ जाओ रोहन।रोहन हैरान था और खुश भी और इस बात से अनजान की उसकी माँ यही है और बर्तन माज रही है।

अचानक से पवन की मम्मी बहुत सारा खाने में बचा हुआ खाना सरोज को फेकने को देती है।सरोज सोचती है कि इतना सारा खाना बर्बाद होगा इससे अच्छा में रोहन के लिए रख लेती हूं ऐसा सोच कर वो बचा हुआ खाना पन्नी में रख पर साड़ी में लपेट रख लेती है।जैसे ही वो फ्री हो कर घर जाने वाली होती है तभी रोहन की मम्मी देख लेती है और दूर से देख कर चिल्लाती है क्या चोरी कर के ले जा रही है चोरनी।

कुछ नही जी अपने जो फेकने को खाना दिया था वो रख लिया मैने आप तो वैसे भी फेक ही रही थी सरोज ने कहा।

पहले तो चोरी करती है ऊपर से बहस करती है ऐसा कहते हुए सरोज का हाथ पकड़ के घर से बाहर निकाल लेती है।रोहन दरवाजे पर खड़ा सब देख रहा था।

उसे सब कुछ समझ आ गया था और वो ये भी जनता था कि सब उसकी वजह से हुआ है।


सविता कुशवाहा

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