प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।

Environment Day poem contest

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 06 Jun, 2020 | 1 min read

बरगद की छाया जब मेरी थकान मिलती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


नदियों के शीतल जल से हमेशा मेरी प्यास बुझ जाती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


कल-कल करती झरने की आवाज

मधुर संगीत सुनाती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


सावन में वन में नाचता मोर

अदृश्य नजारा दिखाती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


ठीक समय पर वर्षा

किसानों को राहत दिलाती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


कड़कड़ाती सर्दी में

थोडी सी धूप सुकून दिलाती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


मत नष्ट करो मुझे

मत करो बर्बाद,

हाथ जोड़ कर यही गुहार लगती है,

प्रकृति माँ की तरह प्यार लुटाती है।


सविता कुशवाहा

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