ससुराल में पहला दिन।

सास बहू का रिश्ता।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 25 May, 2020 | 1 min read

जब मेरी शादी पक्की हुई तब से पहले में सोचती थी कि पता नही सब लोग कैसे होंगे? सासूमाँ कैसी होगी? परिवार कैसा होगा?पता नही मैं नए परिवार में अपनी जगह बना पाऊँगी भी या नही।ये सारे सवाल शादी के पहले से ही मुझे डराया करते थे।
बिदा हो कर ससुराल आई सारी रात मुझे इस टैंशन में नींद नही आई कि कल सुबह जल्दी उठना है।जैसे-तैसे नींद आई।थोड़ी देर  बाद कोई जोर-जोर से दरवाजा ढोक रहा था।मैं कुछ बोलती इससे पहले ही आवाज आई बहु 9 बज गए बेटा उठ जाओ।
ससुराल में मेरा पहला दिन औऱ मै 9 बजे सो कर उठी वो भी जब सासूमाँ मुझे उठाने आई।खुद से ही शर्म आ रही थी कि पता नही सब क्या सोच रहे होंगे।
मैंने सोचा मम्मी जी कुछ बोले उससे पहले ही मैं अपनी सफाई दी देती हूं मैंने बिना कुछ सोचे बोला तबियत थोड़ी खराब लग रही थी इसलिए मेरी नींद नही खुली उतने में बुआ सांस बोल पड़ी इतनी देर से क्यों उठी और  सोती रहती न।इतने में सासु माँ ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा  तीन-चार दिन की थकी हुई है बहू नींद आ ही जाती है।मुझे थोड़ा सुकून मिला।जैसे-तैसे एक दिन निकला अगले दिन में 6 बजे उठ गई थी।मम्मी जी ने कहा सारे मेहमानों के लिए चाय बना लो,मैने 2 लीटर दूध गर्म होने  रख दिया तभी मायके से मेरी छोटी बहन का कॉल आ गया फिर मैं वीडियोकालिंग करते-करते बालकॉनी में चली गई।करीब 1 घण्टे बाद याद आया की गैस और दूध रखा है फिर भाग की किचन गई पूरे किचन में धुंआ था और पूरा दूध और गंजी जल गई मैं बहुत घबरा गई थी तभी छोटे देवर ने आ कर मेरी मदद की।तभी मम्मी जी आ गई बोली क्या हुआ बेटा।मुझे लगा अब तो डाट पड़ेगी ही पर मुझे भरोसा नही हुआ कि सासूमाँ ने  एक शब्द भी नही बोला और हँसने लगी बोली कोई बात बेटा होता है।
आज शादी को 5 साल हो गए है और मेरी सासूमाँ आज भी ऐसी ही है।लोग कहते है कि सासूमाँ कभी माँ नही बन सकती पर मेरी सासूमाँ माँ है।।।



सविता कुशवाहा

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