सैनिक का आखिरी खत।

सैनिक का आखिरी खत।

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Savita vishal patel
Savita vishal patel 26 May, 2020 | 1 min read

डॉक्टर ने 2 मार्च की डेट दी है मेरी डिलेवरी के लिए।जब तक ये खत पहुँचेगा तब तक शायद डिलेवरी हो भी गई होगी।सासूमाँ और ससुर जी को लड़का चाहिए और ये लड़के के चक्कर मे ही हमारी 6 लड़कियां हो चुकी है।इतनी महगाई में कैसे पालेंगे अपन अपने बच्चो को।होली पर तुम आना और पापा मम्मी को समझाना।इस हालत में भी घर का सारा काम करना और सब के ताने भी झेलना की लड़का हो मुझसे नही हो पायेगा।प्रकाश तुम पिछले 7 माह से घर नही आये शिर्फ़ खत ही आता है।अपना ध्यान रखना और जल्दी घर आना।

तुम्हरी पत्नी

हेमा

बहु तूने आज झाड़ू-पोछा नहीं किया क्या? नही किया मम्मी जी टाइम ही नही मिला मैने कहा।।

चल-चल समय बर्बाद न कर और जल्द घर साफ कर।पता नही मेरा लड़का कैसी बहु ले कर आये है।मेरी आंखों में आशु थे।शाम कों बाजार जाते टाइम इस खत को लेटर बॉक्स में डाल दूँगी।

हमारा बेटा हुआ था प्रकाश। पर वो पैदा होते ही खत्म हो गया। मम्मी पापा-बहुत दुखी है।तुम भी जल्दी आ जाओ।वो लोग मुझे बहुत परेशान करते है।अगर तुम नही आये तो मैं अपनी जान दे दूँगी।

तुम्हरी पत्नि

हेमा

कुछ दिनों बाद खत आया की मैं आ रहा हु।मेने किसी को भी नही बताया और उसके आने का इंतज़ार करने लगी।आखिर कार वो दिन आ गया जब प्रकाश आने वाला था।मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नही था 7 माह से हम नही मिले।गाड़ी की आवाज आई बाहर बहुत सोर था एक बड़ा सा बॉक्स बड़ी सी गाडी से उतारा जा रहा था बहुत सारे सैनिको की भीड़ थी।शायद कोई जवान शहीद हो गया है।मैं फिर अंदर चली गई।ये क्या वो लोग अंदर क्यों आ गए।कही ये प्रकाश का शव तो नही।

मम्मी - पापा भी रो रहे थे।

प्रकाश का अच्छा दोस्त सुमित मेरे पास आया और बोला भाभी जी सँभालो ख़ुद को प्रकाश अब इस दुनिया मे नही रहे।वो अपके पास आने के लिए निकल ही रहा था कि अचानक आतँकवादी हमले से वो शहीद हो गए।

सविता कुशवाहा

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