उम्मीद (बुंदेलखंडी लघु कथा)

उम्मीद (बुंदेलखण्डी लघुकथा)

Originally published in hi
Reactions 0
1430
Savita vishal patel
Savita vishal patel 15 May, 2020 | 1 min read

बात ऊ टेम की है जब कि साल 3 साल से पानी नही गिरो हतो।
हल्लू एक किसान हतो हर साल ऊ खेती करत तो लईकिन बारिश न होने के कारण हर साल नुकसान हो जात हतो।ई साल ऊने सोची की उगानेई नइ आ अनाज देखत है का हॉट है।ऊ ऊपर वालो भी न जाने का खेल खेल रो है हमाये ओर के सनग्गे।हल्लू रोज के जैसे खेत की बेड पर बैठे कलेवा कर रो हतो तबीई ऊकि लुगाई भगत भगत आई ओर बोली बगल के गांव का जॉन पंडित है ऊने बोली है कि ई साल वर्षों जरूर हुईए।तो ऐसे बैठे बैठे का करना है सब लोग अजान की खेती कर रहे हम काहे  ऐसे बैठे रहे।हमे उम्मीद है।हल्लू ओर उसकी लुगाई दिन - रात मेहनत करे इस आश में बारिश होगी।आषाढ़ आया और जब कर बारिश हुई।
पूरे गांव ने खुशी बनाई।।।

सविता कुशवाह

0 likes

Published By

Savita vishal patel

Savitavishalpatel

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.