संध्या का समय और सुनसान सड़क। सुनसान सड़क अक्सर लोगों को डरा देती है लेकिन शिवानी के लिए आज यह सबसे खूबसूरत सफर था । लोगों की रूढ़िवादी सोच को हरा कर खुद को आज काबिल जो बना लिया था। पापा के जाने के बाद...ताऊ, चाचा और समाज की खड़ी गई छोटी और रूढ़िवाद मुश्किलों को पैरों तले दबा कर शिवानी ने अपनी काबिलियत का परचम लहराया था। आज उसके हाथ में अपनी पहली जॉब का अपॉइंटमेंट लेटर था। डूबते सूरज की लालिमा की खूबसूरती और चिडि़यों की चहचहाहट हृदय में अमृत सा घोल रही थी। उसके कानों में मधुर संगीत की एक लहर सी दौड़ रही थी। सुनसान सड़क पर शिवानी आज मस्त हवा के झोंके की तरह बह रही थी। बेताब लेकिन खुश परिंदे की तरह घर की ओर उड़ रही थी । उसे अपनी माँ के गले से लिपट कर अपनी खुशी को जो दुगना करना था । कुछ इस तरह सुनसान सड़क का सफर शिवानी के लिए ख़ुशनुमा बन चुका था।शिवानी और उसकी माँ के अँधेरे जीवन में यह शाम उम्मीद का एक नया सूरज लेकर आयी थी।
सुनसान सड़क
एक लड़की के लिए सुनसान सड़क कैसे आज खूबसूरत बन गई थी उसी पर आधारित एक लघु कथा।
Originally published in hi

Charu Chauhan
03 Sep, 2020 | 1 min read
#Motherhood
Confidence
Family
Daughter
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Comments
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खूबसूरत ?
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