भूख

गरीब की भूख कैसी होती है उसी का चित्रण करने का प्रयास किया गया है।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 20 Jan, 2021 | 1 min read
hunger Poor helpless

गरीब की भूख का होता है अपना एक अलग ही धर्म,

वह नहीं मानती किसी जात पात को, 

वह लगती है जब, बस कोहराम मचाती है।

आँतों की सिकुड़न, 

आँखों तक ना चाहते हुए भी चली आती है, 

और मुँह से निकलती है बस एक आह्ह.....! 

वह बस तृप्त होना चाहती है, 

नहीं समझती सामने रोटी कूड़े की है या कल परसों की बासी,

आधा पेट ग़र भर जाए,

उसी में ऐश समझती है,

पिज्जा, बर्गर, नूडल्स के तो नाम को भी तरसती है। 


सच, गरीब की भूख का होता है अपना एक अलग ही कर्म, 

वह नहीं समझता किसी काम को ओछा,

जानता है खुद को छोटा कर, सिमटकर थोड़ा होना। 

दिल का दर्द आँखों में छिपा, 

वह बस जानता है निभाना, 

और चाहता है बस कल के लिए एक तसल्ली....! 

 वह बस काम पाना चाहता है,

नहीं समझता काम छोटा है या भारी,

बस दो पैसे मिल जाए,

और हो जाए उसकी दिहाड़ी,

ज्यादा नहीं मिला तो वह गुड़ खा कर ही पी लेता है पानी।। 


स्वरचित

© चारु चौहान

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Charu Chauhan

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Comments

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  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Well penned

  • Charu Chauhan · 4 years ago last edited 4 years ago

    जी धन्यवाद

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