यूँ आओ कि....

प्रेयसी इंतजार में क्या कह रही है उसी को दर्शाती यह छोटी सी कविता

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 23 Nov, 2020 | 1 min read
Romance waiting Love missing

यूँ आओ कि बहारों में फूल खिल जाएं,


बरसों से प्यासी जमीं पर बारिश की बौछार हो जाए।


तुम यूँ आओ जैसे पतझड़ में पथरीली आँखों को हरियाली दिख जाए,


भरी दोपहरी में हो जैसे मेघ घटा बरसायें।


यूँ आओ कि सूने जीवन में सातों सुरों का संगीत बज जाए,


तूफान के बाद जिस तरह नील गगन में इन्द्रधनुष निकल आए।


तुम यूँ आओ जैसे सर्द मौसम में गुनगुनी धूप मिल जाए,


बरसों के रूखे जीवन को जैसे जायका मिल जाए।


तुम यूँ आओ कि, देखकर तुम्हें हम पसीना पसीना हो जाए, 


लबों पर सूख पड़ी खुरचन, नम हो जाए।


 अब बस... यूँ आओ कि बरसों के गिले शिकवे बर्फ़ की तरह पिघल जाएं, 


अर्से से दिलों पर जमी थी जो धूल, वो हवा से झौंके से उड़ जाए।। 




स्वरचित 


©चारु चौहान 

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Charu Chauhan

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