सपनों के इन्द्रधनुष

किसी की कहानी, कविता के रूप में।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 05 Feb, 2021 | 0 mins read
Self love poor child poem10 1000poems Confidence

रोज सवेरे दिखता है,

झोला उठाए घूमता है वो इस सड़क से उस सड़क,

दुत्कार मिलती है उसे खाने को दोनों पहर।

फटे पुराने चिथड़ों में,

उलझे बालों के गुच्छे जो सुलझाता दिखता है,

वो अधेड़ उम्र का बचपन।


लेकिन आज की सवेर कुछ और थी,

विस्मयी मुस्कान के साथ देखा मैंने वो बचपन में पचपन,

आँखों में उसकी दिख रहे थे सपनों के इन्द्रधनुष।

दाएं हाथ से उसने जेब में कुछ छुपाया था,

मेरी एकटक नजर उस पर थी,

यह देख आज वह थोड़ा घबराया था।


मैं बढ़ रही थी उसकी ओर लेकिन वह दूर होता जा रहा था,

फिर रुका वह अचानक...जेब में हाथ डाला,

खिलखिला कर दिखा दिया मुझे अपना सारा खजाना,

एक छोटी सी डायरी और अधछिली पेंसिल ।


स्वरचित 
© चारु चौहान 



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