Charu Chauhan
Charu Chauhan 20 Dec, 2020
"सामंजस्य"
ज्वारभाटे सा होता है नारी मन, फिर भी बाँध कर रखती है लावे को, सामंजस्य के मजबूत धागे से। कभी विचलित होता है मन, और डांवाडोल भू तल का शोर याद कर लेती है तुरंत, सामंजस्य का मूल मंत्र, सीखा नहीं है जो उसने किसी... विद्यालय या पाठशाला में, बस आ गया खुद ही यह गुण माँ से घर की ही चार दीवारी में । एक हाथ में बच्चा, दूसरे में काम में बोझ, काटना जानती है वह सब गाँठ , सामंजस्य की कुल्हाड़ी से।

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by charudv3p6

20 Dec, 2020

नारी जीवन

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