"सुनो प्रियतम "

अपने किसी खास को दिल की बात बताने का एक जरिया है ये कविता!

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 18 Feb, 2020 | 1 min read

सुनो प्रियतम,


बात चंद सिक्कों के खातों की नहीं, कुछ जज्बातों की है....


वो ज़ज्बात जो तुम कभी देख नहीं पाए ।


"सुनो प्रियतम,


बात बार-बार पुराने किस्सों की नहीं, कुछ नए रिश्तों की है....


जो नए रिश्तों को कोंपल से निकलते तुम भाँप ना पाए।


सुनो प्रियतम,


बात सिर्फ एक इजाजत की नहीं, कुछ सपनों की है....


जो जकड़ते गये समय के साथ और तुम बंधन देख भी ना पाए।


सुनो प्रियतम,


बात उस अल्हड़ उम्र की नहीं, कुछ पकती सोच की है....


जो तुम कच्ची उम्र के जालों से कभी निकाल ना पाए ।


सुनो प्रियतम,


बात हर बार माफ करने की नहीं, कुछ ओट में छिपी नाराजगी की है....


जो मुस्कुराते होंठों के पीछे तुम कभी झाँक ना पाए ।।"






सभी पाठकों को मेरा नमस्कार 🙏। अपने मन की कुछ बातों को यहाँ मैंने शब्दबद्ध कर कविता का रूप दिया है। यह कविता आपको कैसी लगी बताइए जरूर। साथ ही अपने सुझाव भी दे सकते हैं। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार की टिप्पणी का स्वागत है।


साथ ही अगर आपको भी मेरी तरह अपने मन की बात अपने प्रियतम /प्रियतमा से कहनी है और शब्द नहीं मिल रहे.... तब आप यही बाँट दीजिये उनके साथ। आशा करती हूँ काम आएगा।


धन्यवाद....!







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Charu Chauhan

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Mayur Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👌👌👌👌

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