पीढ़ा ग़रीब पक्ष की

गरीबों का हाल देख आंखों में से आसूंओं की धार बहने लग जाती है ।

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Manu jain
Manu jain 30 May, 2020 | 1 min read

मन में उमड़ रहा एक सवाल है

हर सवाल पर होता क्यों बवाल है


महामारी क्या मारेगी उन्हें यहां

भुखमरी से हुआ हाल बेहाल है


मर रहे हैं वो सड़कों पर यूं ही

कब आएगा इंतज़ार का काल है


तड़प रहे अपनों से मिलने को

कौन समझे यहां उनका क्या हाल है


न उम्मीद की किरण कोई दिख रही

कैसे करूँ सफर ये तय खुद से सवाल है


अमीर होता या होता बड़ा नेता कोई 

कोई रोके उसे ये किसकी मजाल है


पैदल किया सफर शुरू फिर लिए

आंखों में नमी और पैरों में छाल है


पहुंचे गिरते पड़ते अपने घर पर

फिर क्यों उनके लिए बंद ये द्वार है


सियासत के रंगबाज़ कहते हैं इसे

वोटों के खातिर ये विपक्ष की चाल है।।

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