जब मैंने अपना आत्मविश्वास खोया

दुःखी मन की व्यथा ?

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Manu jain
Manu jain 01 May, 2020 | 0 mins read

याद है वो दिन,

जब सुबह की रोशनी भी कली रात जैसी लग रही थी,

जब मेरे सपने काच के टुकड़ों की तरह बिखर गए थे।

वो दिन,

जब मैंने अपना आत्मविश्वास खोया था

चिड़ियों की चचहाहट थी, और मुझमें सवालों का शोर

चेहरे पर खुशी और मन पर आशाओं का बोझ

समय बीत रहा था, और में शांत हो रही थी

अपनों के साथ थी, ना जाने फिर भी अंजान थी

हां,

याद है वो दिन

जब मैंने अपना आत्मविश्वास खोया था

दूर होती जा रही थी खुद से

मन में सवालों का शोर तोड़ रहा था मुझे

वक़्त के साथ,

सवालों का शोर बड़ रहा था मुझमें

और मन सबुक सुबुक के रो भी नहीं पाया

हां

याद है वो दिन

जब मैंने अपने आपको खोया

टूटे हुए आत्मविश्वास के साथ

एक नया सफर शुरू किया

मुलाकात तो हजारों से हुई

लेकिन दोस्ती सिर्फ शब्दों से

अनुभूति के इस सफर में शब्दों को साथी बनाए हुए हूं

शब्दों की दुनिया में ही

अपनी दुनिया बसाए हुए हूं

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