एहसास ❤️❤️

मैं कविता नहीं , एहसास लिख रही हूं आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं........

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Manu jain
Manu jain 25 Jan, 2020 | 1 min read

मैं कविता नहीं , एहसास लिख रही हूं

आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं...

यूं तो ,

तुमसे मिलना मुकद्दर में नहीं है

फिर भी ,

तुमसे मिलने की आस लिख रहीं हूं

आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं...

अजनबी थे तुम , अब पहचान बन गए

पहचान बढ़ाते बढ़ाते , तुम मेरी जान बन गए ...

कि जान मेरी , मैं

तेरे - मेरे मसाफ़त की दास्तां लिख रहीं हूं

तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं...

तेरे जाने के गिर्दाब से ,मैं यूं शायर बन गई हूं

कि शब्द टिकें कैसे पन्ने पर , अब ये मैं जान गई हूं

आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं...

कि अपने दर्द का सफ़ीना , कोरे कागज पर उतार रही हूं

सीने में दबीं इक सांस को अब बाहर मैं निकाल रही हूं

आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रही हूं ...

जो तोहमत लगा मुझपर तेरे प्यार का

उस दर्ददिल को बयां कर रही हूं

आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहीं हूं...!

[{मसाफ़त - दूरी (distance ) ; गिर्दाब - भंवर ( vortex ) ; सफ़ीना - नांव ( boat )]

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