एकता में है शक्ति महान🇮🇳

अनेकता में एकता

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Manu jain
Manu jain 27 Jan, 2020 | 1 min read

हिन्दू भी मैं सिक्ख भी

ईसाई भी मैं जैन भी

है मुझ में इंसानियत

मेरे दिल में है थोड़ा दर्द भी

कि है क्यों ये जात-पात

ऊंच-नीच का भेद भी

क्यों बरक़रार है‌ युद्ध

जात और धर्म में भी

क्यों है नहीं समानता

तुम में और मुझ में भी

क्यों मान्यताएं हैं अलग

और हैं अलग ,

तो क्यों सम्मान नहीं

जैसे पेड़ और पौधों में

भिन्नता अनेक है

कुछ फूलों में तो ,

कुछ फलों में विशेष है

है देखने में भी अलग

कुछ छोटे हैं तो बड़े भी है

स्वभाव इनका भिन्न-भिन्न

फिर भी ये एक है

व्यक्तिगत गुणों से

पहचान है मनुष्य की

न वेश से न रंग से

समानता है दिखती कहीं

गर जात-पात है अलग

विचार भी न एक है

तब इंसानियत ही होती बड़ी

इंसानियत होती बड़ी

हम अनेकता में एकता

को बनाए रखें सदा

बैर भावना छोड़कर

रहें सदैव एक ही

रहें सदैव एक ही

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Manu jain

ManuJain

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