उगते सूर्य को ही नहीं डूबते सूर्य को भी नमस्कार

छठ व्रत की खूबसूरती

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 09 Nov, 2021 | 1 min read
Chhath ka parv Chhath puja Chhath parv special Festival of chhath

"छठ पर्व" नाम सुनने मात्र से मन में उमंग का छा जाना स्वभाविक है। यह पर्व अब केवल बिहार व यूपी का ही नहीं अपितु अन्य जगहों पर भी मनाया जाने लगा है। छठ पर्व से एक मास पूर्व ही छठ के गीत कानों को आनंद व मन को सुकून प्रदान करने में अहम भूमिका निभाने लगते हैं। छठ गीत मन को जितना सुकून देता है उतना ही वातावरण में आनंद का संचार करता है। छठ पर्व का असल आनंद गाँव में देखने को प्राप्त होता है, जब छठ व्रती छठ घाट पर चलने के लिए क़दम बढ़ाती हैं तो यूं लगता है कि छठी माई भी उनके संग क़दम से कदम मिलाकर चल रही हैं। पूरे वातावरण में आनंद का रंग बिखर जाता है।

           चाहे धनवान हो या अति निर्धन सबके माथे पर बाँस की टोकरी में प्रसाद के रुप में ठेकुआ, पिड़िकिया व भाँति-भाँति के फल अवश्य ही मौजूद रहते हैं। निर्धन परिवार के मुख्य सदस्य बेशक स्वयं के लिए नवीन कपड़े न खरीदें परंतु अपने परिवार के सदस्यों के लिए निश्चित ही खरीदते हैं चाहे इसके लिए उन्हें छठ से पूर्व कठिन श्रम अधिक ही क्यों न करनी पड़े। छठ घाट जाने से पूर्व जब गाँव के बच्चे नये कपड़े पहनकर घर से बाहर दोस्तों के बीच आते हैं तो उनके चेहरे पर ख़ुशी देखते बनती है। बच्चों के चेहरे पर ख़ुशी की मात्रा सर्वाधिक होती है छठ पूजन के दिन।

जहाँ एक ओर विश्व के अन्य हिस्सों में उगते सूरज को सभी बारम्बार नमस्कार किया जाता है वहीं हमारा भारत एक मात्र ऐसा देश है जहाँ छठ पूजन के दिन न केवल उगते सूर्य को बल्कि डूबते सूर्य को भी हाथ जोड़कर बारम्बार प्रणाम किया जाता है। छठ व्रती संतान की दीर्घायु व परिवार की ख़ुशी हेतु सूर्य देव से प्रार्थना करती हैं तो उनके चेहरे पर सुकून की लकीर खींच जाती है उस क्षण। यूं लगता है छठ व्रती स्वयं छठी माई से वार्तालाप कर रही हैं।

               लोक आस्था के इस पावन पर्व की खूबसूरती का बखान जितना किया जाए कम है। इस पावन पर्व में छठ व्रती निर्जला उपवास करती हैं। विविध नियमों का पालन करते हुए छठ व्रती स्वयं को सौभाग्यशाली समझती हैं। नहाय खाये के अगले दिन खरना व ठीक उसके अगले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य व अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करती हैं छठ व्रती। 



©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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