किसान का जीवन

किसान की व्यथा

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 24 Dec, 2020 | 1 min read
Pain of Farmers

कपकपाती ठंड की ठंडक हवाएँ दीनानाथ के तन और मन दोनों को झकझोरने का प्रयत्न कर रही थीं। फिर भी..वह कुदाल से बंजर जमीन को फसल उत्पन्न करने योग्य बनाने में मग्न था। आज घर से भूखे पेट ही आना पड़ा था उसे। घर में खाने का सामान खत्म था। भूखे पेट भी परिश्रम करने में तनिक भी कमी नहीं कर रहा था दीनानाथ। खेतों में काम कर ही रहा था तभी उसकी नज़र सामने जा रहे एक राहगीर पर पड़ी जो रोते हुए आगे बढ़ रहा था। दीनानाथ ने उसे अपने पास बुलाकर उससे पूछा, "भाई! साहब देखने में आप अच्छे भले घर से लग रहे हैं। लगता है जीवन से आप भी परेशान हैं मेरी तरह! देखिए भाई! साहब इंसान चाहे लाख प्रयत्न करे पर उसे दुख,दर्द तकलीफ जीवन में सहना ही पड़ता है। इसलिए दुखी मत होइए। एक दिन सब ठीक हो जाएगा।" रोने वाला शख़्स आम नहीं बल्कि खास था। अपनी कलम से मन के भाव व निर्धन,असहाय के दर्द को व्यक्त करता था। दीनानाथ की बात सुन उसने कहा, "आपकी बातों ने मुझे बेहद प्रभावित किया। तमाम कष्टों को तन पर सहन करने के बावजूद भी आप में इतनी हिम्मत है। आप पूरे देशवासियों की थाली तक दो वक्त की रोटी पहुंचाते हैं, अथक मेहनत करते हैं। आज सुबह-सुबह ही एक किसान जो मेरे पड़ोस में ही रहते हैं, आर्थिक स्थिति अति प्रतिकूल होने के कारण अत्यंत तनावग्रस्त होने से उन्होंने मानसिक संतुलन खो दिया। इस बात के लिए ही मैं दुखी हूँ। धनाभाव के कारण मैं भी उनके जीवन के दुख को कम नहीं कर पाया इस बात का बहुत दुख है। इसलिए मन को लाख समझाने के बावजूद भी मेरी आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।" उस किसान के प्रति व अन्य किसानों के प्रति उस शख़्स के अंदर मौजूद संवेदना को जानकर दीनानाथ का मन द्रवित हो गया। उसकी आँखों से भी अश्रु की बूँदें गिरने लगीं। दीनानाथ ने कहा, "साहब आप सचमुच इंसान हैं। आज तक कोई भी ऐसा इंसान न मिला जिसने हम किसानों के दुख को तनिक भी भाँपने की कोशिश की हो। क्या कीजिएगा साहब? हम किसानों का जीवन ऐसा ही हैं।" 


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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  • Akshat · 4 years ago last edited 4 years ago

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद

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