सैनिकों के नाम एक खत

A letter to the soldiers.

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 22 Dec, 2020 | 1 min read
A letter written by Kumar Sandeep to the soldiers of the country

देश की धड़कन प्यारे सैनिक

बारम्बार नमस्कार आपको

प्रिय सैनिक शुरुआत में ही आपके संबोधन में मैंने आपको देश की धड़कन कहा, इसमें किंचित भी संदेह नहीं कि आप देश की धड़कन नहीं हैं। जिस तरह जलाभाव में मछली ख़ुद को असहाय समझने लगती है, जिस तरह कुछ पल के लिए ही सही वायु की गैरमौजूदगी पृथ्वी पर रहने वाले हर प्राणी को हैरान व परेशान करके रख देती है। ठीक उसी प्रकार मैं भी यह मानता हूँ कि आपके बिना हम सब भी शून्य हैं। या यूं कहूं कि आपके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। आप सरहद पर डटे रहते हैं तभी हम सब घर में आसपड़ोस में महफूज रहते हैं।

मौसम चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल आप घुटने टेकना नहीं जानते हैं मुश्किलों के समक्ष। कपकपाती ठंड में ख़ुद को संभालना आपके लिए भी मुश्किलों से भरा रहता होगा परंतु आप प्रतिकूल परिस्थिति में भी ख़ुद को संभालते हैं, टूटने नहीं देते हैं आप अपने मन को। ठंडी हवाएँ आपके हौसले को डगमगाने का पूर्ण प्रयत्न करती होगी पर शायद वह अनजान है आपके हौसले से, हिम्मत से।

परिवार की याद आँखों को नम कर देती है। तो क्या आपको अपने परिवार की याद नहीं आती होगी, निश्चित ही आती होगी पर आपको अपने परिवार से अधिक प्रेम राष्ट्र से है, राष्ट्रवासियों से है। परिवार की याद आपके अंतर्मन को भी झकझोरने का पूरा प्रयास करती होगी पर आप उस परिस्थिति में भी संभालते हैं अपने मन को। मन को प्रतिकूल क्षण में संभालना, प्रतिकूल पल में मुश्किलों से लड़ने के लिए ख़ुद को हर वक्त तैयार रखना कोई आपसे सीखे।

माँ के आँचल में सिर रखकर सुकून प्राप्त करने का सुख व माँ के हाथ से बने स्वादिष्ट व्यंजनों को ग्रहण करने की इच्छा आपके मन में भी जागृत होती होगी जब आपको याद आती होगी अपनी माँ की जानता हूँ तब आप रोते होंगे मन भर सरहद पर। माँ ही नहीं आपके पिताजी भी तो आपके दिल के अत्यंत करीब होंगे हम सब की भाँति। चंद पल के लिए ही सही पिताजी जब नज़रों से दूर चले जाते हैं तो एक अज़ब प्रकार की बेचैनी महसूस होती है तो फिर आपको पिता से बहुत दूर रहने का गम कितना होता होगा यह कल्पना करना भी शायद जटिल ही होगा।

जब आपका कोई साथी दुश्मनों से लड़ते वक्त दम तोड़ देता है तब आपको क्या पीड़ा महसूस होती होगी समझ सकता हूँ, पर आप उस परिस्थिति में भी संभालते हैं ख़ुद को और आप लेते हैं प्रण दुश्मनों से बदला लेने का। आपको यदि त्याग, तपस्या की मूरत कहा जाए तो किंचित भी ग़लत नहीं होगा। आपके जैसा असाधारण त्याग इस दुनिया में और कहाँ कोई करता है। आप अपने हिस्से की हर ख़ुशी, अपना एक-एक पल राष्ट्र के नाम समर्पित करते हैं ऐसा गुण अन्य में कहाँ देखने को मिलता है। अंतिम साँस तक देश की रक्षा करते हैं आप। सचमुच आपके सिवा यह कार्य कोई अन्य कर भी नहीं सकता।

                          आपकी महिमा आपके कार्यों का वर्णन शब्दों में व्यक्त कर पाना असंभव है। खत के अंत में एक प्रार्थना करना चाहता हूँ ईश्वर से कि हे ईश्वर! हमारे राष्ट्र भारत के हर सैनिकों के हिस्से में बेइंतहा ख़ुशी दीजिएगा, सैनिक जहाँ भी रहें महफूज रहें, स्वस्थ रहें।


आपकी जान हिंदुस्तान का एक नन्हा साहित्य सेवक

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा👌👌👌

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice👌👌

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद आपका दी

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