परिवार की नींव हैं बुजुर्ग उनसे ही हम हैं

●हमारे बुजुर्गों को समर्पित एक आलेख●

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 01 Oct, 2021 | 1 min read
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अकेलेपन के तिमिर में दरबदर की ठोकरें खाने के लिए बुजुर्गों को न छोड़ने वाले परिवार से ईश्वर भी प्रसन्न रहते हैं। जब हम अपने बुजुर्गों को मान व सम्मान प्रदान कर रहे होते हैं उस वक्त हमें जो आत्मिक ख़ुशी प्राप्त होती है उससे कहीं अधिक ख़ुशी मिलती है उस अदृश्य शक्ति को, उसे गर्व होता है कि इंसान आज भी कहीं न कहीं धर्म और सत्य के पथ पर कदम बढ़ रहा है।

आवास निर्माण के क्रम में नींव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, नींव मजबूत न हों तो ऊंची इमारत खड़ी करने की कल्पना ध्वस्त हो जाती है। जी हाँ, हमारे बुजुर्ग हमारे घर की नींव की भाँति ही तो है जिनके स्नेहाशीष की छाँव तले हम अपार सुकून का अनुभव करते हैं। उनके दर्शन मात्र से दिन की शुरुआत की जाए तो वह दिन शुभ होता है। क्योंकि बुजुर्ग अपने बच्चों के लिए, परिवार के लिए एक सेकेंड नहीं बल्कि दिन के चौबीसों घंटे ईश्वर से सलामती की दुआ करते हैं।



बुजुर्ग हमारी सलामती की दुआ रब से करते हैं साथ ही हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए ख़ुद कष्ट सहन करते हैं,तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम भी उन्हें ख़ुश रखने का भरपूर प्रयत्न करें ----


१)उनकी कड़वी बात दिल पे न लें- वृद्धावस्था में चिड़चिड़ापन बढ़ना स्वाभाविक है। घर के बुजुर्ग यदि किसी बात पर डाँटते हैं, अधिक आवाज़ में बोलते हैं, तो उनके इस रवैये को दिल पर न लें बल्कि उनसे नरमी से पेश आएं। उनकी कही बात को समझें, व उनकी ज़रूरतों को पूर्ण करने का पूर्ण प्रयास करें।


२)जब बैठे हों वो अकेले- जब भी घर के बुजुर्ग अकेले बैठे हों और आप फ्री हों तो उनके साथ कुछ पल बिताएं, उनके सुख व दुख को जानें,समझें ओर उसे दूर करने का प्रयत्न करें। उन्हें भी लगेगा कि इस अवस्था में भी मेरे अपने मेरे साथ खड़े हैं।


३)वृद्धावस्था में बच्चों जैसे बर्ताव को करें दरकिनार- वृद्धावस्था में बड़े बच्चों जैसे ही कुछ बर्ताव करने लगते हैं यथा- रखे हुए सामान को भूल जाना, किसी बात के लिए विशेष जिद पर अड़ जाना, यकायक मौन हो जाना आदि। इस स्थिति में आप उनसे सही तरीके से बात करें। हम सभी भी एक दिन बुजुर्ग होंगे और हमारी भी स्थिति इस तरह की हीं होगी, इसलिए हमें उनके दर्द को समझना होगा। उनकी भावना की कद्र करते हुए उनके दुख को दूर करना होगा।


४)अपने दिन की शुरुआत उनके चरणों को स्पर्श कर करें- दिन की शुरुआत बुजुर्गों के चरणों को स्पर्श कर आरंभ करें। बुजुर्गों के स्नेहाशीष में असीमित ताकत विद्यमान है। आप यदि उनसे हिलमिलकर रहेंगे तो उन्हें भी इस बात का भान होगा कि मेरे अपने मुझे अधिक चाहते हैं उन्हें वृद्धावस्था का दर्द कुछ हद तक कम लगने लगेगा।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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