बेटी हूँ मैं भी..

नारी शक्ति को समर्पित एक कृति

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 24 Jan, 2021 | 1 min read
National Girl Child day2021 1000poems

बेटी हूँ

मैं भी नभ में उड़ान भर सकती हूँ

पापा के सहारे की लाठी बन सकती हूँ

माँ की आँखों के आँसू पोंछ सकती हूँ

परिवार को एकता के सूत्र में बांध सकती हूँ।।


बेटी हूँ

मैं भी इतिहास रच सकती हूँ

आसमां स्पर्श करने की कोशिश कर सकती हूँ

समुद्र में गोते लगा अनमोल मोती खोज सकती हूँ

बड़े सपने मैं भी साकार कर सकती हूँ।।


बेटी हूँ

मैं भी परिवार की ज़िम्मेदारी सर पर उठा सकती हूँ

प्रतिकूल क्षण में भी ख़ुद को संभाल सकती हूँ

जगत में अपनी एक अलग पहचान बना सकती हूँ

माँ बन पूरे परिवार को संभाल सकती हूँ।।


बेटी हूँ

मैं भी बड़े-बड़े सपने देख सकती हूँ

बड़े सपने देख ही नही,सपनों को पूर्ण भी कर सकती हूँ

असंभव कार्य को संभव मैं भी कर सकती हूँ

हाँ, मैं भी कुल का नाम रोशन कर सकती हूँ।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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Comments

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  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Loved this. 😊

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks

  • Mr Perfect · 3 years ago last edited 3 years ago

    Ati sundar

  • Anita Tomar · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही सुंदर रचना 👌👌👌

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