सैनिक संभालते हैं ख़ुद को

सैनिकों को समर्पित सृजन।

Originally published in hi
Reactions 2
429
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 26 Jan, 2021 | 1 min read
1000poems Indian soldiers

ज़िंदगी में तनिक मुश्किल

आ जाने पर, हम खो देते हैं धैर्य

ख़ुद को असहाय, बेबस समझने लगते हैं

ख़ुद को पूर्णतः टूटे हुए समझते हैं

फिर, किस तरह संभालते हैं सैनिक, ख़ुद को

प्रतिकूल परिस्थिति में

कपकपाती ठंड में

जेठ की कड़ी धूप में

आँधी-तूफान, बारिश में।।


माँ की आँखों से 

कुछ पल के लिए ही सही

जब हम जाते हैं दूर, शहर

तब माँ के बिना हमारा मन

नहीं लगता है तनिक भी शहर में

फिर, हम समझ सकते हैं

सैनिक के मन की पीड़ा को

सैनिकों के लिए भी अपनी माँ से

दूर जाना कितना पीड़ादायक होता होगा

यह हम कल्पना भी नही कर सकते हैं।


बहन,छोटे भाई से दूर

गाँव के दोस्त से दूर

जाना भला कौन चाहता है

घर के वास्ते यदि जाना भी पड़ता है

तो बिल्कुल भी मन नही लगता है

भले हमारे वास्ते उस जगह पर

सुख सुविधाओं के अपार साधन हों

सैनिकों के लिए

भी तो ख़ुद को संभालना होता होगा मुश्किल

गाँव के बरगद की छाँव से दूर

दोस्तों से दूर जाना

सैनिकों के लिए भी होता होगा मुश्किल

फिर भी सैनिक संभालते हैं अंतर्मन को।।


हम निज स्वार्थ हेतु करते हैं प्रार्थना ईश से

पर, जो रहते हैं हम सबके वास्ते

सरहद पर प्रतिकूल क्षण में भी डटे

उनकी हिफ़ाज़त के वास्ते भी

हमें प्रार्थना करना चाहिए ईश्वर से

हाँ, सैनिक रहे सकुशल और स्वस्थ सदा

इसलिए हमें दिन में एक बार ही सही

ईश्वर से प्रार्थना करना चाहिए।।


©कुमार संदीप

मौलिक,स्वरचित, अप्रकाशित

2 likes

Published By

Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Mr Perfect · 3 years ago last edited 3 years ago

    The best poem

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद

Please Login or Create a free account to comment.