हैप्पी वैलेंटाइन डे डियर "माँ"

एक ख़त जीवनदायिनी माँ के नाम

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 14 Feb, 2022 | 1 min read
Mom Valentine's day special Maa ka prem Valentine Day A letter to mom Mother's Love Learn from Mom

Day-07

प्रिय माँ!


     सादर प्रणाम!


माँ! आपका पुत्र सकुशल है, इसमें कहीं-न-कहीं आपका ही योगदान है, इसमें कोई संशय नहीं है। आपका लाल कठिन परिस्थितियों में भी ख़ुद को संभाल लेता है, इसमें भी आपकी भूमिका अहम है। चूँकि मेरी बेहतरी के लिए आप न केवल ख़ुद प्रयत्न करती हैं बल्कि ईश्वर से भी आप प्रार्थनाएं करती हैं कि मेरे पुत्रों के हिस्से में तनिक भी दुख न आगमन करे। आप निर्जला उपवास रखती हैं व्रत के दिनों में किसलिए? क्या स्वयं के लिए? नहीं माँ! आप मेरे लिएपरिवार के लिए रखती हैं निर्जला उपवास ताकि ईश्वर आपकी विनती सुनकर हमें ख़ुश रखें। ख़ुद को तपा कर संतान की झोली में ख़ुशियाँ अर्पित करने का अद्वितीय कार्य माँ आपके सिवा और कौन कर सकता है। सचमुच ईश्वर ने आप माँओं के अंदर अनगिनत सद्गुण दिए हैं।

        प्रेम की सार्थक परिभाषा क्या है? प्रेम किस तरह किया जाता है? किस तरह रिश्ते निभाएं जाते हैं? किस तरह ख़ुद तपकर परिवार के हर सदस्य के उर में सुकून भरा जाता है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर आप माँओं के सिवा भला और जान सकता है। आप जितनी अच्छी पहले थी, अभी हो वैसे ही आगे भी रहो, यही प्रार्थना करता हूँ ईश्वर से। मेरा स्वास्थ्य माकूल न रहने पर आपकी धड़कन कितनी तेज़ धड़कती हैं, यह मैं भलीभाँति जानता हूँ। मैं जानता हूँ कि आपने कई रातें बिना सोएं ही गुजारी हैं ताकि आपकी आँखों का तारा चैन की नींद सो सके।


आपके गर्भ में मैं नौ महीने रहा, आपने मुझे जन्म दिया। आपका स्नेह संग आशीष मुझे तब से मिला जब मैं इस दुनिया में क़दम रखा, यह मेरे लिए बहुत ही गौरव का विषय है। भला आप जैसी माँ को पाकर कौन ऐसा पुत्र होगा जो स्वंय को सौभाग्यशाली न समझेगा। आपने ठिठुरती ठंड में, तपती धूप में भी मेरी ख़ुशी का ख्याल रखा है, यह मैंने अपनी आँखों से देखा है। मैं आपको कितनी ख़ुशी दे सकूंगा आगे यह तो ईश्वर जानेंगे, पर मेरा प्रयास यही रहेगा कि माँ चाहे मुझे अधिक श्रम ही क्यों न करना पड़े परंतु मैं आपके हिस्से में कभी भी ख़ुशियाँ कम नहीं होने दूंगा। मैं जो ख़ुशी अपने पापा को न दे सका वह हर ख़ुशी आपको दूंगा। जब भी आपके ऊपर कोई कष्ट आन पड़ेगी मैं ईश्वर से कहूंगा कि हे ईश्वर माँ को कष्ट न देकर वह कष्ट आप मुझे दे दीजिये अथवा हर कष्ट हर लीजिए माँ के हिस्से से। यदि माँ दुखी होगी तो मैं दुखी होऊंगा, मैं दुखी हुआ तो माँ दुख में होगी, सो हे प्रभु हम दोनों के हिस्से से दुख मिटा दीजिएगा। पर हाँ, हर परिस्थिति से डटकर सामना करने हेतु हम दोनों को हिम्मत दीजिएगा।

       ख़त का अंत करते हुए मैं ईश्वर से भी कुछ प्रार्थना करना चाहता हूँ जो आवश्यक है। ईश्वर आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ, हे ईश्वर! आपने असमय पिता का साया मेरे हिस्से से छीन लिया। पर हे ईश्वर आपसे विनम्र विनती है कि जब तक मेरी, मेरे भाईयों की साँसें हैं तन में तब तक मेरी माँ को हमसे अलग मत कीजिएगा। माँ के बिना हम न जी पाएंगे। सो हे प्रभु! करता हूँ यह विश्वास आप पर कि आप सुनेंगे यह विनती मेरी।



आपका लाडला पुत्र

©कुमार संदीप

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