प्रेम महज ढ़ाई अक्षर का शब्द नहीं

प्रेम महज एक शब्द नहीं है

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 01 Feb, 2021 | 1 min read
Hindi poem 1000poems

प्रेम महज 

ढ़ाई अक्षर का एक शब्द नहीं

प्रेम में है समाहित

भावना रुपी समुद्र

ज्ञान रुपी नभ।।


प्रेम महज 

ढ़ाई अक्षर का एक शब्द नहीं

प्रेम पूजा है

प्रेम की परिभाषा

चंद शब्दों में नहीं दी जा सकती

प्रेम अपरिभाषित है।।


प्रेम महज

ढ़ाई अक्षर का एक शब्द नहीं

प्रेम की महिमा का वर्णन

शब्दों में वर्णित करना

है सरल नहीं।।


प्रेम महज

ढ़ाई अक्षर का एक शब्द नहीं

जिस तरह मात-पिता की महिमा

लफ़्जों में व्यक्त करना है कठिन

ठीक उसी तरह

प्रेम को प्रेम की विशेषताओं को

लफ़्जों में व्यक्त करना है नामुमकिन।।


प्रेम महज

ढ़ाई अक्षर का एक शब्द नहीं

और जिसने भी प्रेम को 

समझा है महज एक शब्द

उससे बड़ा

अल्पज्ञ कोई नहीं।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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